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________________ wwwwwwwwwwwwmmmmmmmmmmmm करनेवाला, सूर्यके समान तेजस्वी, राज लक्षणोंसे विराजमान, युवराज अभयकमार सबको आनन्द देने लगे। संसारमें जीवोंको यदि मुखप्रदानकरनेवाली है तो यह उत्तम बुद्धि ही है । क्योंकि इसीके कृपासे मनुप्य सवोंका शिरोमाण वनजाता है । उत्तम बुद्धिवाले मनुष्यका राजा भी पूरा २ सन्मान और आदर करते हैं । बड़े २ सज्जन पुरुष उस की बिनयभावसे सेवा करने लगजाते हैं । तथा उत्तम बुद्धिकी कृपासे अच्छे २ नीति आदि गुण भी उस मनुष्यको अपना स्थान वनालेते हैं। इसप्रकार भविप्यतकालमें होनेवाले श्री पद्मनाभ तीर्थकरके भवांतरके जीव महाराज श्रेणिकके पुत्र अभय कुमारकी उत्तम बुद्धिका वर्णन करनेवाला सातवा सर्ग समाप्त हुवा । आठवा सर्ग अपने पवित्र ज्ञानसे समस्त जीवोंका अज्ञानांधकार मिटाने वाले, निर्मल ज्ञानके दाता, मुनियों में उत्तम मुनि श्री उपाध्याय परमेष्ठीको अंग उपांग सहित समस्त ध्यानकी सिद्धिके लिये मैं मस्तक झुकाकर नमस्कार करता हूं। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035265
Book TitleShrenik Charitra Bhasha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGajadhar Nyayashastri
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1914
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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