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________________ raamannaamaamarrian बंदकर जवरन उसके घरमें रूर पड़ा । नकली बलभद्रका इस प्रकार धृष्टतापूर्वक वर्तव देख भद्रा चिल्लाने लगी । नकली वलभद्र एवं भद्राका झगड़ा भी बड़े जोर शोरसे होने लगा। झगड़ेकी आवाज सुन पाड़पड़ोसी सब भद्राके घर आकर इकडे होगये । असली वलभद्रके कान तक भी यह बात पहुंची वह भी दोड़ता २ शीघ्र अपने घर आया । और अपने समान दूसरा बलभद्र देख आपसमें झगड़ा करने लगा । दोनों बलभद्रोंकी चाल ढाल रूप रंग देख पाड़पाड़ोसी मनुष्योंके होश उड़गये । सबके सब दातों तले उंगली दवाने लगे। तथा अनेक उपाय करने पर भी उनको जरा भी इसबातका पता न लगा कि इन दोनामें असली बलभद्र कौंन है ? । जब पुरवासी मनुष्योंसे असली वलभद्रका फैसला न होसका तो वे दोनों वलभद्रोंको लेकर राजगृह कुमार अभय की शरणमें आये । और उनके सामने सब समाचार निवेदन कर दोनों वलभद्रोंको खड़ा करदिया। दोनों बलभद्रोंकी शकल रूप रंग एकसा देख कुमार अभय भी चकड़ाने लगे । असली वलभद्रके जाननेकालये उन्होंने अनेक उपाय किये। किंतु जरा भी उन्हें असली बल भद्रका पता न लगा । अंतमें सोचते सोचते उनके ध्यानमें एक विचार आया। दोनों बलभद्रोंको बुला उन्हें शीघ्र ही एक कोठेमें बंद करदिया । और भद्राको सभामें बुलाकर एवं एक तंबी अपने सामने रखकर दोनों वलभद्रोंसे कहा । . . Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035265
Book TitleShrenik Charitra Bhasha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGajadhar Nyayashastri
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1914
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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