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________________ हमैं नंदिग्राममें रहना कठिन जान पड़ता है । तथा क्षण एक ऐसा विचार कर वे सब मिलकर कुमार अभयके पास गये। और सारा समाचार उन्हें जाकर कह सुनाया। ब्राह्मणोंके मुखसे वावड़ीका भेजना सुनकर, और नंदिग्राम निवासी ब्राह्मणोंको चिंतासे ग्रस्त देखकर, कुमार अभयने उत्तर दिया। हे विप्रो! यह कोंन बड़ी वात है. आप क्यों इस छोटीसी वातके लिये चिंता करते हैं ? आप किसीवातसे जराभी न घबड़ाय । यह विघ्न शीघ्र दूर हुवा जाता है। आप एक काम करें। आपके गांवमें जितने भर वैल एवं भैंसे हों उन सवको इकट्ठाकरो। सबके कंधोपर जूवा रखवा दो।और नंदिग्रामसे राजगृह तक उनकी लगतार लगादो जिससमय महाराज अपने राजमंदिरमें गाढ़ निद्रामें सोते हों । वेधड़क हल्ला करतेहुवे राजमंदिरमें घुस जाओ। और खूब जोरसे पुकार कर कहो। नंदिप्रामके ब्राह्मण वावड़ी लायें हैं । जो इन्हें आज्ञा होय सो किया जाय । वस महाराजके उत्तरसे ही आपका यह वित्र टल जायगा। ___कुमारकी यह युक्ति सुन ब्राह्मणोंने गांवके समन्त वैल एवं भैंसा एकत्रित किये। उनके कधोंपर जूवा रखदिया। और उन्हें नदिग्रामसे राजमंदिर तक जोत दिया। जिससमय महाराज गाढ़ निद्रामें वेसुध सो रहे थे। राजमंदिरमें बड़े जोरसे हल्ला करना प्रारंभ करदिया । और महाराजके पास जाकर यह कहा महा Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035265
Book TitleShrenik Charitra Bhasha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGajadhar Nyayashastri
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1914
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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