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________________ AAAAANANA कुमारके पास भेज दिया और व्योरे वार एक पत्रभी उसै लिख कर दे दिया। जहां कुमार श्रेणिक रहते थे दूत उसी देशकी ओर चल दिया । और कछ दिन पर्यंत मंजल दर मंजलकर कुमारके पास जा पहुंचा । कुमारको देखकर दूतने विनयसे नमस्कार किया । और उनके हाथमें पत्र देकर जवानी भी यह कह दिया कि हे कुमार । अब तुम्हें शीघ्र मेरे साथ राजगृह नगर चलना चाहिये। दूतके मुखसे ऐसे वचन सुनकर एवं पत्र वांच उसके वचनों पर सर्वथा विश्वास कर, कुमार श्रेणिक अपने मनमें अति प्रसन्न हुवे । मारे हर्षके उनका शरीर रोमांचित हो गया । तथा पत्र हाथमें लेकर वे सीधे सेठि इंद्रदत्तके समीप चल दिये। वहां जाकर उन्होंने सेठि इंद्रदत्तको नमस्कार किया और यह समाचार सुनाया कि हे महनीय ! राजगृहपुरसे एक दृत आया है उसने यह पत्र मुझे दियाहै इससमय वहां जाना अधिक आवश्यक जान पड़ता है कृपा कर आप मुझे वहां जानेकेलिये शीघ्र आज्ञा दें। बिना आपकी आज्ञाके मैं वहां जाना ठीक नहीं समझता. ___ यकायक कुमारके मुखसे ऐसे वचन सुन सेठि इंद्रदत्त आश्चर्य सागरमें निमग्न हो गये। 'अव कुमार यहांसे चले जायगे, यह जान उन्हे बहुत दुःख हुवा । किं तु कुमारने उन्हे अनेक प्रकारसे आश्वासन दे दिया।इसलिये वे शांत होगये । और उन्हें Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat ___www.umaragyanbhandar.com
SR No.035265
Book TitleShrenik Charitra Bhasha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGajadhar Nyayashastri
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1914
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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