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सामायिक व्रत के अतिचार
वत की बाराधना शुद्ध हो इसके लिए व्रत के अतिचारों
' को जानना आवश्यक है। क्योंकि जब तक व्रत को दूषित करने वाले कारण नहीं जान लिये जाते, तब तक उन कारणों से बचकर व्रत को शुद्ध नहीं रखा जा सकता। इसीलिए शास्त्रकारों ने भागमों में सामायिक व्रत के दोषों का भी स्वरूप बता दिया है, जिससे उन दोषों को समझा जा सके और उनसे बचा जा सके।
व्रत चार प्रकार से दूषित होते हैं, अतिक्रम से, व्यतिक्रम से, अतिचार से और अनाचार से। इन चारों का रूप बताने के लिए एक कवि ने कहा है:
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