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श्रावक के चार शिक्षा व्रत
पुत्र-वधू का उत्तर सुनकर, उस श्रावक ने अपनी भूल स्वीकार को और भविष्य में सावधान रहकर सामायिक करने की प्रतिज्ञा की। ___ यह कथा कल्पित है या वास्तविक है यह नहीं कहा जा सकता। इसके द्वारा बताना यह है कि निश्चयनय वाले द्रव्य सामायिक को सामायिक नहीं मानते, किन्तु उसी सामायिक को सामायिक मानते हैं जो मन, वचन, काय को एकाप रख कर उपयोग सहित की जाती है और जिसमें आत्म-भाव में तल्लीनता होती है। ऐसी सामायिक से ही आत्म-कल्याण भी होता है और ऐसी सामायिक का ही लोगों पर प्रभाव भी पड़ता है। यानी धर्म और सामायिक के प्रति लोगों के हृदय में श्रद्धा होती है।
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