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॥ प्रीयतां भगवान् ऋषभ श्रीः ॥
॥ जैन धर्म की प्राचीनता॥
जैन धर्म की उत्पत्ति के लिये कोई समय विशेष निश्चित नहीं किया जा सकता क्योंकि यह धर्म अनादि काल से भारत में चला पाता है । बहुत समय तक तो कुछ भारतीय और पाश्चात्य विद्वान् इस धर्म को बौद्ध धर्म की ही एक शाखा मानते रहे किन्तु अब तक जो साहित्यक गवेषणाएं हो चुकी हैं उनके आधार पर यह सिद्ध हो चुका है कि जैन धर्म बौद्ध धर्म से बहुत प्राचीन एक पृथक् धर्म है। कुछ समय तक तो कुछ विद्वान् यही मानते रहे कि महावीर महात्मा बुद्ध का ही दूसरा नाम है । इस के पश्चात् वे कुछ आगे बढ़े और उन्हों ने मान लिया कि महावीर स्वामी वास्तव में महात्मा बुद्ध से भिन्न व्यक्ति थे और उन्होंने ही जैन धर्म की नींव रखी थी। उन के पूर्व जैन धर्म का अस्तित्व न था । विद्वानों ने कहा कि जैनधर्म को चलाने वाले महावीर स्वामी अवश्य ऐतिहासिक व्यक्ति थे किन्तु उन के साथ जो अन्य २३ तीर्थंकरों का नाम लिया जाता है वे सब काल्पनिक व्यक्ति थे । अस्तु, समय की प्रगति के साथ २ विद्वान् लोग और भी आगे बढ़ते गए। बड़ी २ गवेषणाएं हुई और बहुत ऐसी बातें जो पहिले असत्य और काल्पनिक समझी जाती थीं, सत्य रूप में प्रकट हुई। अब तक हुई अनेक गवेषणात्रों ने जैन धर्म की प्राचीनता पर बड़ा प्रकाश डाला है । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
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