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जिन में असंख्य निरपराध प्राणियों का रक्तपात हुआ। योरोप की इन्क्वीजोशन और स्टार चम्बर न्यायालय नाम की दो धार्मिक अदा. लतों में जो रोमांचकारी दुर्घटनाएं हुई उन को पढ़ कर हृदय दहल उठता है। इन दोनों धार्मिक न्यायालयों में धर्म के नाम पर अनेकों निरपराध व्यक्तियों के सिर त नवारों से काट दिये जाते थे। और बहुतों को जिन्दा ही श्रग में जला दिया जाता था। केवल इन दो धार्मिक अदालत में ही धर्म के नाम पर एक करोड़ निरपराध व्यक्तियों को मृत्यु का दण्ड दिया। इसी प्रकार भारत में
औरङ्गजेब की धर्मान्धता को लोग अभी तक नहीं भूने हैं। संसार में धर्म के नाम पर हृदय को कंपाने वाली यंत्रणाएं लोगों को दी गई। स्त्रियों पर अत्याचार किये गए और अबोध बालकों को तलवार के घाट उतारा गया । धर्म के नाम पर मानव ने ऐसे २ पोर पार किये जिन की संभावना राक्षसों और पशुओं से भी नहीं की जा सकती। बसवीं सदी वैज्ञानिक युग है। इस को विकासवाद का युग भी कहा जाता है। इसका मानर बड़ा सभ्य और उन्नत माना जाता है किन्तु उमने भी धर्म की दुहाई देकर ऐसे २ अत्याचार किये हैं जिन को प्रकट करते भी लज्जा पाती है । दूर जाने की क्या श्रावश्यकता है । अभी थोड़ा समय पहले मन् १६४७ में जब भारत का विभाजन हुआ उम ममय धर्मान्धता के कारण मानव ने मानव पर जो भीषण अत्याचार किये वे कि । ते नूने हैं । धर्म के नाम पर मनुष्य ने अपनी जाति और भाई बन्धुनों त । पर ऐसे २ घोर अन्याय क्येि है कि यदि उन की तुलना राक्ष या पशु से की जाय तो यह उनको लांछन लगाना होगा। इस प्रकार धर्म के नाम पर हुए अत्याचारों को यदि विस्तार पूर्वक लिखा जाय तो एक स्वतन्त्र पुस्तक तैयार हो जाए । श्रस्तु, यह सब क्यों हुआ? क्या धर्म ने मानव जाति को यही कुछ निवाया था ? क्या धर्म की बुनियाद हमारे पूर्वजों ने इन्हीं अत्याचारों
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