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अनुमोदन करना, शिवमस्तु सर्व जगतः, अनुकरण करना
मध्य भाग में रहे हुए महामंगलकारी श्री ऋषि मंडल मूल मंत्र की नवकारवाली जपे।
सा विधा या विमुक्तयेही नमः तमसो मा ज्योतिर्गमय: जिन्दगानी के अन्तिम वन एवं श्री वर्धमान तप की ओली के अन्तिम वन के उपलक्ष में शप जिवन का प्रभाव
विज्जिवन के निय जन्म सं.१९६१ धनतेरस
कम खाना गम खाना जन्म से ही तम्बाकु छीकणी) का त्याग
MS जावन्जिट
विजयादशमीसे।
१९७७
IA
२०२१ अपाठशुदी १५
से पान भाजी/ ना
त्याग
।
ज्ञान
पान्डुरंग कृपासेही वर्कस सिद्धिः हवई (मराठी) (हीन्दी) (अंग्रेजी) (प्राक्रित)
त्याग'/
RAMA/ARINE |
त्याग
अस
चारित्रम्
जुता-मोजा / पर्युषणपूर्व से
१९९८
सेबह्मचर्य/NYOO.
(मारवाडी) (संस्कृत) (गुजराती) (उर्दू) हेतफिकरे न कर्तव्यं करवी तो जिगरे खुदा
त्याग
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विशाख शुक्ला१५॥
चाय, कोफ/
२०१०
RIES/ Hellhing)
08087
'पयुषण-पर्व से निम्मलिखि
-IICII
का उपयोग करना गेहुँ, जव, मक्काई, चावल, मुंग, चणा, चवला, तुअर, उडद घोरत, तेल, गुड, शक्कर, दही, बदाम, खजुर, द्राक्ष, गुँद
केला, केरी, काकडी, चीभडा, टमाटर, निम्बु, इमली, दुधी, टीडसी | मीरची,नमक, हल्दी, धाणा, जीरा, राई,मेथी, कोकम, हीग, सुंठ,मरी, पीपरामुल, एलची,खार -11 -01 - 1 -1 -1 - 1
शेषमल सत्तावत विधावाडी व विजापुर (राजस्थाना
ज्ञान की आशातना से बचने के लिये सुरक्षित रखें । मलमार बालिका विद्यापीठ,विहानाडी, रानी (राजस्थान)