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________________ १२२ :: :: शेष विद्या प्रकाश कहावतें :-- अपने कर से असि उठाकर, अपने सिर पर लाते हैं। अपनी नौका अपने कर से मूरख नित्य डुबाते हैं । शंखली नाणा श्रापती लपोडशंख मुझ नाम । मांगो मांगो बहुँ कहुँ पण कोड़ी न आपु दाम ॥ दाता दाता मर गये जिन्दे रहे मक्खीचूस । लेने देने में कुछ नहीं झगड़ने में मजबूत ॥ आचारे अभिमान वध्यु तप थी वध्यो क्लेश । ज्ञाने गर्व वध्यो घणो अवलो भजव्यो वेश ।। झूठे तन-धन झूठे जोबन झूठा है घर वासा । आनंद घन कहे सब ही झूठा साचां शिवपुर वासा ।। तब लग धोवन दूध है जब लग मिले न दूध । तब लग तत्व अतत्व है, जब लग शुद्ध न बुध ।। इश्क के दर्द में सभी दर्द गर्क है । सिकम के दर्द में इश्क भी गर्क है ॥ मिले खुश्क रोटी जो आझाद रहकर । तो वो खौफ जिल्लत के हलुए से बेहत्तर ॥ कनक कनक ते सौगुनी मादकता अधिकाय । या खाये बौरात है वा पाये बौराय ॥ पर निन्दा पर द्रोह में दिया जनम सब खोय । प्रभु नाम सुमरा नहीं तिरना किस विध होय ।। जा घट प्रेम न प्रीत रस पुनि रसना नही नाम । ते नर प्रा संसार में उपजि मरे बेकाम ॥ जीवन जोवन राजमद अविचल रहे न कोय । जो दिन जाय सत्संग में जीवन का फल सोय ।। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035257
Book TitleShesh Vidya Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnanandvijay
PublisherMarudhar Balika Vidyapith
Publication Year1970
Total Pages166
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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