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________________ ( ८२ ) बाये से दाहिने अपारचय अङ्क-परिचय ऊपर से नीचे १-संसार का मायाजाल तोड़नेवाला। १-लोगों का कथन है कि इसके बिना सुख नहीं मिलता। ५-किसी नवयुवक का...स्वाभाविक बात है। २-संसार के झगड़े-बखेड़े। ७.-बारात। ३-वृद्धावस्था। ८-शिक्षित स्त्रियाँ अब इसे छोड़ने लगी हैं। ४--नवीनता। ९-भारतवर्ष जैसे देश के लिए इसका होना आवश्यक था। ६-यदि यह साफ़ न हो तो सुनने और समझने में ११-किसी किसी समय इस पर भी बैठकर भोजन करते हैं। प्रायः अन्तर पड़ता है। १३-कठोरता इसका प्रधान लक्षण है। १०-ऐसा चाबुक उत्पाती घोड़े को वश में नहीं कर सकता। १४-लजाना। १२-प्रायः लड़ाई का कारण होती है। १६-व्रजभाषा में इसका स्थान ऊँचा है। १५-एक पक्षी। २१-छोटी पुस्तक। १७-यह त्योहारविशेष पर बनती है। २३-कितने हैं जो यह बोलते हैं ? १८-ग्रीष्म ऋतु में सभी गरीब और अमीर इसके ऋणी हैं। २४-मोटा गद्दा। १९:-पृथ्वी। २५-बबूल । २०--तुरन्त ध्यान आकर्षण कर लेना इसकी विशेषता है। २६-इस देश में ऐसे मनुष्य संख्या में कम हैं जो इससे २१-ऋतु विशेष पर एक दिन इसकी बहार होती है। अानन्द उठाते हैं। २२...-चतुर माता अपने बच्चे को इससे खेलने का अवसर २८-कोई-कोई इसके सामने समय का मूल्य नहीं समझते। ही नहीं देती। ३१-इसकी वाणी अनेकों की व्याकुलता का कारण है। २४.-बहुत बड़ा या विशाल । २७-नाई। ३२-इसका पद किसी की दृष्टि में बहुत बड़ा होता है। २९-अवस्था का परिचायक । ३३-यह 'बरतन' बिगड़ गया है। ३०-कुछ जगहें इसके लिए प्रसिद्ध हैं। नोट-रिक्त कोष्ठों के अक्षर मात्रा-रहित और पूर्ण हैं। या त्रा __ वर्ग नं. ५ की शुद्ध पूर्ति । वर्ग नम्बर ५ की शुद्ध पूर्ति जो बंद लिफ़ाफ़े पर मुहर लगाकर रख दी गई थी यहाँ दी जा रही है। पारितोषिक जीतनेवालों का नाम हम अन्यत्र प्रकाशित कर रहे हैं । अपनी याददाश्त के लिए वर्ग ६ की पूर्तियों की नकल यहाँ कर लीजिए। और इसे निर्णय प्रकाशित होने तक अपने पास रखिए। + IN कावर 141 ल जा अ मुन ताल क- Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035249
Book TitleSaraswati 1937 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1937
Total Pages640
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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