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________________ ६४ की --- विशेष कर सिंहासन के उत्तराधिकारी और सिंहासनाधिष्ठ पुरुषों की स्वतंत्रता बहुत ही मर्यादित है। उस मर्यादा के भीतर रहकर भी आपने जनता की अभूतपूर्व सेवा की और ऐसे लोकप्रिय हुए जैसा पहले कोई नहीं हुआ था । हम मानते हैं कि जिस महिला से श्रापका प्रेम गया है वह राजराजेश्वरी होने योग्य नहीं है। इसका कारण हमारी दृष्टि में इसके सिवा और कुछ नहीं है कि उस महिला के दो विवाह पहले हो चुके थे और हो Dragonss सरस्वती [प्रेम सिंहासन से भारी सिद्ध हुआ ।] दोनों परित्यक्त पति अभी तक जीवित हैं। यदि किसी साधारण कुल की सुशीला कुमारी से विवाह करना चाहते तो सम्भवतः मंत्रिमंडल उसका विरोध करने का साहस न करता । पर इस विवाह के मार्ग में पहले के दो विवाह बाधक अवश्य थे । ब्रिटेन के साधारण कानून के अनुसार ऐसे विवाह वैध हैं, पर सिंहासनों के उत्तराधिकारियों की जननी ऐसी नारी नहीं हो सकती, यह बात Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat [ भाग ३८ स्वयम् सम्राट् एडवर्ड भी जानते और मानते थे । इसी से आपने प्रधान मन्त्री से कहा कि क्या आप ऐसा क़ानून नहीं बना दे सकते कि वह मेरी पत्नी हो, पर सम्राज्ञी न हो ? श्री बाल्डविन ने इनकार कर दिया । इस अस्वीकृति का मर्म ही हमारी समझ में नहीं आया । अष्टम एडवर्ड के अविवाहित रहते सिंहासन के उत्तराधिकारी आपके छोटे भाई ड्यूक आफ यार्क थे, और अब तो आप सिंहासन पर भी बैठेंगे । श्राप विवाह कर लेते और पत्नी 'रानी' न होती तो भी यही परम्परा जारी रहती । फिर आपको अपने हृदय की इच्छा पूर्ण करने का अवसर क्यों नहीं दिया गया, क्यों ब्रिटिश साम्राज्य को ऐसे योग्य और लोकप्रिय राजा से वंचित किया गया ? इसका सन्तोषजनक उत्तर हमें नहीं मिल रहा है। शायद इतिहास देगा । परमात्मा श्री विण्डसर को अपने प्रेम में सुखी करे ! शेरो की भविष्य वाणी सुप्रसिद्ध भविष्यवक्ता शेरो ने सन् १९१५ में सम्राट् अष्टम एडवर्ड के सम्बन्ध में एक भविष्यवाणी की थी। उसका कुछ अंश इस प्रकार है “युवराज ( व सम्राट् ) का जन्म एक ऐसी घड़ी में हुआ है कि उनके जीवन के सम्बन्ध में कुछ समझ सकना ही मुश्किल है। उनके नक्षत्रों से मालूम होता है कि उनका जीवन बहुत ही बेचैनी से गुज़रेगा। उनमें एक-सी विचारधारा का प्रभाव रहेगा। ध्यान को केन्द्रित करने में उन्हें मुश्किल होगी । यात्रा और विविध दृश्यों के निरीक्षण के लिए उनमें अपार प्रेम होगा। उनमें 'ख़तरे की भावना ' न रहेगी । व्यग्र शारीरिक चेष्टात्रों द्वारा वे बेचैनी और घबराहट का प्रदर्शन करेंगे। वे एक ऐसे व्यक्ति होंगे जो सदैव 'प्रेम की भावना का अनुभव करते रहेंगे... उनके नक्षत्रों से ऐसा प्रतीत होता है कि वे सर्वनाशक प्रेम के शिकार होंगे। अगर उन्होंने प्रेम किया तो मैं भविष्यवाणी करता हूँ कि वे अपने प्रेम-पात्र को प्राप्त करने के लिए सम्राट का पद भी छोड़ देंगे, क्योंकि विवाह- क़ानून उनकी इच्छा को बहुत ज्यादा सीमित कर देगा । www.umaragyanbhandar.com
SR No.035249
Book TitleSaraswati 1937 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1937
Total Pages640
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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