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जर्मनी और श्रास्ट्रिया-हंगेरी की पुरानी सीमाओं के भंग होने पर नये नये अस्तित्व में आये हैं या उनके राज्य का विस्तार हुआ है वे योरप की वर्तमान स्थिति को देखते हुए कैसे चुप बैठे रह सकते हैं ? रूमानिया के नेतृत्व में पोलेंड, ज़ेन्चोस्लेवेकिया, जुगोस्लाविया, यूनान और तुर्की का जो नया संघ बन चुका है वह योरप की इस काल की एक महत्वपूर्ण घटना है। इन छः राज्यों के एकता के सूत्र में बद्ध हो जाने से योरप के इस अञ्चल में एक महत्त्वपूर्ण शक्ति अस्तित्व में आगई है, जो एक ओर जर्मनी तथा इटली की तानाशाहियों से टक्कर ले सकेगी तो दूसरी ओर सोबियट रूस को जहाँ का तहाँ रोके रखने में समर्थ होगी। इन राज्यों का सम्मिलित सामरिक बल इस समय इस प्रकार है
सेना ३,२५,०००
रूमानिया
जुगोस्लाविया १,५०,०००
ज़े चोरले वेकिया. २,००,०००
पोलेंड
३,८०,०००
तुर्की
२,१२,०००
यूनान
ܘܘܘܨܘܘ
सरस्वती
जहाज़ वायुयान १०,०००
९,५००
१२,१९९
५३,७००
४०, ४५०
८००
६२०
५६६
७००
.३७०
११९
कुल
१३,३७,०००
१,२५, ७४९ ३, १७५
पूर्वी योरप का यह मित्रदल यदि कुछ काल तक ऐक्य . के सूत्र में श्राबद्ध रहा और इसने एकमत से काम किया तो • पश्चिम में न तो जर्मनी को, न पूर्वी भूमध्य सागर में इटली कोई दुस्साहस का कार्य करने की हिम्मत होगी । यही नहीं, योरप की क्या, संसार की अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में भी इस बलशाली संघ का ख़ासा प्रभाव पड़ेगा । योरप में यह संघ एवं एशिया में मुसलमानी राज्यों का संघ ये दोनों भविष्य में अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में अपना असाधारण महत्त्व प्रकट करेंगे, यदि इनमें परस्पर एकता और सद्भाव श्राज जैसा ही बना रहा ।
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जापान की सफलता
जापानियों की राष्ट्रीय प्रगति एक प्रकार का संसार का एक नया चमत्कार है । सौ वर्ष के भीतर ही उन्होंने सभी दिशाओं में अपनी ऐसी उन्नति की है कि स्वयं उन्नत से
[ भाग ३८
उन्नत पाश्चात्य देश भी आश्चर्य चकित हो रहे हैं। महायुद्ध के बाद जब वायुयानों का येrप में अत्यधिक प्रचार हुआ तब जापान में उनके प्रति वैसा उत्साह नहीं दिखाई दिया, जिससे यहाँ तक कहा गया कि इस क्षेत्र में जापान येोरप की प्रतिद्वन्द्विता नहीं कर सकेगा, क्योंकि फेफड़ों के कमज़ोर होने के कारण जापानी लोग वायुयानों. का सञ्चालन जैसा चाहिए, नहीं कर सकेंगे । परन्तु व इसका प्रत्यक्ष प्रमाण मिल गया है कि इस 'सूर्योदय के देश' ने वायुयानों के निर्माण तथा उनके सञ्चालन में आशातीत उन्नति की है। अभी हाल में जापानी उड़ाकों ने तोकियो से लन्दन की यात्रा ३ दिन २२ घंटे और १८ मिनट में पूरी की है । सन् १९२५ में जब जापानी उड़ाके लन्दन के लिए तोकियो से उड़े थे तब उन्हें उस यात्रा में एक महीना से अधिक समय लगा था । सन् १९२८ में फ्रेंच उड़ाकों ने यही यात्रा ६ दिन और २१ घंटे में पूरी की थी । पर वही यात्रा जापानी उड़ाकों ने अपने यहाँ के बने हुए वायुयान से उपर्युक्त समय में पूरी की है। उनकी सफलता के उपलक्ष्य में जापान में तीन दिन तक उत्सव मनाया गया । तोकियो और लन्दन का हवाई मार्ग १० हज़ार मील है । जापानी यान वाहक २०० मील फ्री घंटा के हिसाब से उड़े थे। सारी यात्रा में उसके सञ्चालक ने उबले 'हुए चावल के सिवा और कुछ नहीं खाया । औस यात्रा के ९४ घंटों में वे कुल १० घंटे सोये । यान सञ्च लक का नाम मसाकी इनूमा है । आज सारा जापान उसके लिए गर्व कर रहा है ।
प्रारम्भिक शिक्षा की रिपोर्ट
सन् १९३४-३५ की प्रारम्भिक शिक्षा की रिपोर्ट भारत सरकार के शिक्षा - कमिश्नर ने हाल में प्रकाशित की है । यह रिपोर्ट काफ़ी देर के बाद निकली है । तब ऐसी दशा ' में १९३५ : ३६ की रिपोर्ट के निकलने की इस वर्ष कैसे आशा की जा सकती है ? ख़ैर, इस रिपोर्ट से देश के शिक्षा प्रचार की वर्तमान अवस्था पर अच्छा प्रकाश पड़ता है । इसमें बताया गया है कि स्कूलों में जा सकने - वाले लड़कों में कुल ५० फ़ीसदी ही लड़के स्कूलों में पढ़ने जाते हैं । अर्थात् शेष ५० फ़ीसदी लड़कों के उनके माता-पिता किन्हीं अनिवार्य कारणों से स्कूलों
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