SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 600
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५८४ सरस्वती एवं रचना की शिक्षा का प्रबन्ध किया गया है। विदेशों में प्रत्येक विषय के लिए अलग अलग विशेषज्ञ होते हैं । किसी भी विषय पर थोड़े से खर्चे में विशेषज्ञों की सम्मति ग्रासानी से मिल जाती है। अतः वहाँ इंजीनियरिंग का ज्ञान न होने से भी काम चल जाता है । परन्तु भारत में विशेषज्ञों से कच्चे माल की ख़रीद से लेकर मेशीनों की ख़रीद, फिटिंग तथा मरम्मत के अतिरिक्त उत्पादन और विकी आदि की भी देख-भाल करनी पड़ती है । इन सभी बातों में पूर्णतया विज्ञ होना एक अत्यन्त कठिन कार्य है । परन्तु इंस्टिटयूट में उसे यथासाध्य सभी श्रावश्यक विषयों का व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त करने में सहायता दी जाती है। इंस्टिट्यूट में उत्तम ग्राधुनिक प्रयोगशालाओं के अतिरिक्त छोटे-छोटे माडेल कारखानों का भी प्रबन्ध है । प्रयोगशालाओं में काम करने के साथ ही विद्यार्थी इन फैक्टरियों व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त करते हैं। अपनी फ़ैक्टरियों में काम करने के अलावा प्रमुख प्रौद्योगिक केन्द्रों की ख़ास ख़ास फ़ैक्टरियों के देखने और उनमें काम करने की व्यवस्था की जाती है। फ़ैक्टरियों को देखने से बहुत-सा ज्ञान अनायास ही प्राप्त हो जाता है । इतनी शिक्षा और व्यावहारिक ज्ञान के बाद विद्यार्थी अपने पैरों खड़े होने में समर्थ हो जाते हैं । [ मुख्य भवन -- पूर्वी मध्य भाग । ] Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat [ भाग ३‍ विद्यार्थियों में आत्मविश्वास उत्पन्न करने और कारखाना खोलने की पूरी जानकारी कराने के लिए इस्टि टयट की निजी फ़ैक्टरियों का अधिकांश काम विद्यार्थियों को सौंप दिया जाता है । इंस्टिट्यूट के अधिकारी उन्हें श्रावश्यक परामर्श देते रहते हैं और उन पर नियंत्रण रखते हैं । इन फ़ैक्टरियों में तेल, साबुन, रंग-रोगन और शकर की फ़ैक्टरियों के नाम विशेष उल्लेखनीय हैं। इन फ़ैक्टरियों का उद्देश व्यापारिक न होकर शिक्षणात्मक ही है । यहाँ विद्यार्थियों को व्यापारिक ढंग से उत्पादन की शिक्षा दी जाती है और उनमें कारखानों जैसे वातावरण में काम करने की योग्यता उत्पन्न की जाती है। इन्हीं कारखानों में इंस्टिट्यूट में होनेवाले अनुसन्धान कार्य के व्यावसायिक रूप की पूरी जाँच-पड़ताल की जाती है । इस अनुसन्धान के कार्य से केवल विद्यार्थियों को ही नहीं, वरन उद्योग-धन्धों के संचालकों को भी बड़ी सहायता मिलती है । स्वतन्त्र अनुसन्धान कार्य के अलावा इंस्टिट्यूट के अधिकारी उद्योगधन्धों के संचालकों की समस्याओं को सुलझाने के लिए भी बराबर प्रयत्नशील रहते हैं और उनसे बराबर सम्पर्क बनाये रखते हैं । स्वयं मिलों में जाकर मिलवालों की कठिनाइयों को समभकर उन्हें दूर करने के उपाय बतलाते हैं और कारखाने को उन्नत एवं लाभदायक बनाने के लिए परिवर्तन, परिवर्द्धन एवं सुधार आदि के लिए वार परामर्श देते रहते हैं । साधारण अभिरुचि की प्रौद्योगिक समस्याओं पर कार्य करने के लिए इंस्टिट्यूट में किसी प्रकार की फीस नहीं ली जाती । उद्योग-धन्धों के संचालन, व्यवस्था एवं मेशीन यादि से सम्बन्ध रखनेवाले नाना प्रकार के प्रश्नों के उत्तर दिये जाते हैं। वास्तव में उत्तरी भारत में उद्योग-धन्धों के बारे में जानकारी प्राप्त www.umaragyanbhandar.com Wx
SR No.035249
Book TitleSaraswati 1937 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1937
Total Pages640
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy