SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 566
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५५२ सरस्वती [भाग ३८ पंक्तियां लगी हुई हैं । बीच में मकानों की कतारें हैं । यदि इस प्रकार शहरों में भवन-निर्माण की व्यवस्था हो तो किसी का स्वास्थ्य असमय क्यों ख़राब हो ? विदेशों के मकानों और सड़कों के विषय में अधिक कहना पिष्ट-पेषण मात्र है। भारत से उनकी तुलना ही नहीं हो सकती। नक्काल भारत में विदेशी सभ्यता की वस्तुएँ जुट रही हैं। वह भी अर्धावस्था में । यदि मोटर है तो ठीक सड़क नहीं । पश्चिमीय देशों में मोटर के साथ अथवा उसके पहले लोगों ने सड़कों का मसला हल कर [ला हावर का थियेटर घर तथा नवीन उद्यान ।] लिया था। भारत में प्रतिवर्ष मोटरों की संख्या वृद्धि हो रही है, पर सड़कों की ओर कोई देखनेवाला नहीं। जब और इंग्लैंड में यह कोई नई बात नहीं है। क्षण क्षण किसी सड़क से मोटर निकलता है, गर्द के बादल नीचे से वायु-मण्डल में परिवर्तन हुआ करता है। एक क्षण धूप ऊपर तक अपना साम्राज्य जमा लेते हैं और अपने भक्तों है तो दूसरे क्षण वर्षा होने लगती है और तीसरे क्षण यदि को (या शिकारों को) राजयक्ष्मा का प्रसाद बाँटते चले अोले पड़ने लगे तो क्या अाश्चर्य ! पर लोगों का आना- जाते हैं। इसकी अोर न नगर-पिताअों का ध्यान जाता जाना बन्द नहीं होता। पुरुष और स्त्री दोनों ही बरसाती है और न हेल्थ-आफ़िसरों का। जिसे इस समस्या डाले अपने अपने काम में लगे रहते हैं। की भयंकरता का अनुमान लगाना हो वे सरकार-द्वारा मकानों की दृष्टि से हावर के विषय में क्या कहना प्रकाशित राजयक्ष्मा से ग्रस्त रोगियों की क्रमशः संख्या है! पश्चिमीय योरप के सभी बड़े नगरों में सुन्दर विशाल वृद्धि की रिपोटो को देखें । विदेशों में ये बातें सहन नहीं मकान देखने में आते हैं । फ्रांसीसी लोग बड़े कलाप्रिय की जा सकती हैं। वहाँ तो दो ही विकल्प सामने हैं। होते हैं । हावर में उनकी इस परिष्कृत रुचि का पूर्ण या तो मोटरों का बहिष्कार अथवा सड़कों की ठीक परिचय मिलता है। सड़कें साफ़ और मज़बूत बनी हुई हैं। अवस्था । गर्द का कहीं नाम तक नहीं। दूकाने और रहने के मकान ला रू थियर्स स्ट्रीट देखने के पश्चात् 'बोलदोनों ही अच्छी तरह सजे हुए रहते हैं। फुट-पाथ पर वार्द दे स्त्रासबर्ग' की ओर बढ़े। लोगों ने जहाज़ में ही बराबर लोग आते-जाते रहते हैं। सबके मुख पर प्रसन्नता इस स्मारक की चर्चा की थी। गत योरपीय महायुद्ध के और स्वाभिमान के भाव साफ़ साफ़ झलकते रहते हैं। पश्चात् प्रायः सभी पश्चिमीय योरपीय देशों में कुछ न ___साथ कई लोग थे और सबकी भिन्न आवश्यकतायें थीं। कई दूकानों में जाने का अवसर हुअा। लोगों ने मनचाही चीज़े खरीदीं। इसके बाद हम लोग सबसे पहले ला रू थियर्स स्ट्रीट पर पहुँचे। इस सड़क का नाम प्रसिद्ध फ्रांसीसी प्रधान मन्त्री थियर्स के संस्मरणार्थ रक्खा गया है । उक्त प्रधान मन्त्री अपने समय में योरप के राजनैतिक आकाश का एक चमकता हुश्रा नक्षत्र था । इस सड़क के किनारे मकान मानों साँचे में ढले हुए बने हैं । बीच में ट्राम-वे और मोटर आदि के लिए विस्तृत सड़क है। सड़क के दोनों ओर चौड़े चौड़े फुट-पाथ बने हुए हैं । इन्हीं फुट-पाथों पर वृक्षों की सुन्दर हावर नगर का 'पेरिस म्यूज़ियम' ।] Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com लारू थियर्स स्ट्रीट पर Mata नय
SR No.035249
Book TitleSaraswati 1937 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1937
Total Pages640
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy