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समालोचना
जवाहरलाल नेहरू
लेखक, श्रीयुत ज्योतिप्रसाद मिश्र 'निर्मल' पण्डित जवाहरलाल नेहरूजी का व्यक्तिगत जीवन भारतवर्ष के राजनैतिक जीवन के साथ इतना अधिक घुल मिल गया है कि एक को दूसरे से अलग करना असम्भव है। इसीलिए उनको आत्मकथा को बहुत-से. लोग देश की कथा भी कहते हैं। उनकी इस आत्मकथा को बगैर पढ़े किसी भारतवासी का राजनैतिक ज्ञान पूर्ण नहीं समझा जा सकता है। इस लेख में योग्य लेखक ने
जवाहरलाल जी की इस आत्मकथा का संक्षेप में बड़े ही सुन्दर ढङ्ग से परिचय दिया है।
डित जवाहरलाल नेहरू देश के राष्ट्रीय विषय की यह एक श्रेष्ठ कृति है। विलायत तथा कर्णधारों में प्रधान हैं | वे राज- अंन्यान्य देशों के प्रमुख पत्रकारों ने इस ग्रंथ की विस्तृत नैतिक नेता और राजनीति के मर्मज्ञ आलोचनायें प्रकाशित की हैं और बीसवीं सदी का इसे तो हैं ही, एक उत्कृष्ट विद्वान् , महत्त्वपूर्ण ग्रंथ बतलाया है । नेहरू जी ने इस पुस्तक में विचारशील लेखक और प्रवीण 'अपनी बात' कहते हुए नवीन विचारों से युक्त भारत के
अालोचक भी हैं। विदेशी राज- राष्ट्रीय इतिहास का क्रमिक विकास इतने सुन्दर ढंग से नीति और इतिहास की विद्वत्ता उनकी विशेषता है । जिस अंकित किया है कि इससे लगभग पन्द्रह वर्ष के भीतर की प्रकार उनकी वाणी में पोज, प्रवाह, वीरत्व, मौलिकता भारतीय समस्याओं पर पूर्ण प्रकाश पड़ जाता है। मेरी
और स्पष्टवादिता है, उसी प्रकार उनकी रचना में भी ये कहानी' क्या है, नेहरू जी ने स्वयं लिखा है. इसमें सारे गुण विद्यमान हैं। नेहरू जी की वाणी देश को पिछले कुछ वर्षों की खास ख़ास घटनायों का संग्रह नहीं; जाग्रत और उन्नति करने में जितनी सहायक हुई है, उतनी इसके लिखने का यह मकसद था भी नहीं। यह तो समय ही उनकी रचनायें भी सहायक हुई हैं। इस दृष्टि से इस समय पर मेरे अपने मन में उठनेवाले खयालात और सम्बन्ध में महात्मा गांधी के बाद नेहरू जी का ही स्थान है। जज़बात का और बाहरी वाक्यात का उन पर किस तरह नेहरू जी ने संसारव्यापी राजनैतिक समस्याओं को प्रोजस्वी और क्या असर पड़ा, उसका दिग्दर्शन-मात्र है। इसमें
और आकर्षक रूप में लिपिबद्ध करके राष्ट्रीय प्रगति को मैंने अपने मानसिक विकास को-अपने ख़यालात के व्यापक और स्थायी बनाने का सुन्दर उद्योग किया है। उतार-चढ़ाव को-सही चित्रित करने की कोशिश की
वे अँगरेज़ी-भाषा के उच्च कोटि के ज़बर्दस्त लेखक हैं। है ।.........खास बात यह नहीं कि मुझ पर क्या गुज़रा, . उनकी अँगरेज़ी की पुस्तकों का यथेष्ट प्रचार भी हुआ है। बल्कि यह है कि वह मुझे कैसा लगा और उसका मुझ प्रसन्नता की बात है कि हिन्दी में भी उनकी रचनायें पर क्या असर हुआ। यही इस किताब को अच्छाई और अब सुलभ हो गई हैं और इनसे हिन्दी साहित्य के एक बुराई जानने की कसौटी है।" पुस्तक का नाम 'मेरी विशेष अंग की पूर्ति हुई है।
कहानी' सार्थक है। नेहरू जी ने इसमें अपनी कहानी ___ 'मेरी कहानी'-नेहरू जी ने यों तो कई महत्त्वपूर्ण लिखी है। प्रारम्भ में उन्होंने अपने पारिवारिक जीवन, पुस्तकें लिखी हैं, किन्तु कुछ समय हुआ उनका 'मेरी बाल्यकाल और शिक्षा से सम्बन्ध रखनेवाली बातें लिखी कहानी' नाम का नवीन ग्रंथ प्रकाशित हुआ है। यह एक हैं। फिर सन् १९२० से लगभग वर्तमान काल तक की विशाल ग्रंथ है। राजनीति के विद्वानों का कथन है कि राजनैतिक घटनाओं का वर्णन किया है। इस बात को
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