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________________ संख्या ५] नई पुस्तके ४९३ राजधानी सिलसिले में की है । भवभूति के द्वारा वर्णित स्थानों का एक अभाव की उत्तम ढंग से पूर्ति हो रही है । होमियोपैथी भी परिचय देने के लिए विद्याभषण महोदय ने यथेष्ट प्रयत्न चिकित्सा प्रणाली दिन प्रतिदिन इस देश में अधिकाधिक किया है। किन्त आधनिक भगोल के अनुसार उन स्थानों उपयोगी सिद्ध होती जा रही है। ऐसी दशा में इस विषय का परिचय देने में उन्हें कहाँ तक सफलता मिली है, यह के प्रामाणिक ग्रन्थों का हिन्दी में हो जाना अति आवश्यक बात विचारणीय है। उदाहरण के लिए भवभूति के है। प्रसन्नता की बात है कि अधिकारी विद्वानों का ध्यान महावीरचरित के चौथे तथा उत्तररामचरित के पहले इस अोर प्राकष्ट हो गया है। उपर्यक्त युक्त ग्रन्थमाला एक अङ्क में शृङ्गवेरपुर का नाम पाया है। इसका परिचय ऐसा ही प्रयत्न है। चिकित्सा-प्रेमियों को इस माला के देते हुए विद्याभषण महोदय ने लिखा है---"निषादराज ग्राहक बनकर लाभ उठाना चाहिए । गुह से उसकी राजधानी शृङ्गवेरपुर में मिले थे। गुह की ७-ज्योति-सम्पादक, श्रीयुत मदनगोपाल मिश्र, का वर्तमान नाम चण्डालगढ या चुनारगढ है।" प्रकाश प्रकाशक, मैनेजर ज्योति (मासिक पत्रिका) ज्योति-कार्यालय, यहाँ विद्याभषण जी का शृङ्गवेरपुर का मतलब है ईस्ट कान्यकब्ज-कालेज रोड, लखनऊ हैं। वार्षिक मूल्य स्वदेश इंडियन रेलवे के स्टेशन चुनार से, जो युक्तिसङ्गत भी नहीं में ३॥ और विदेश में ५) है। है । कहाँ प्रयाग से पश्चिम बीस-बाइस मील की दूरी पर यह विविध विषय विभूषित एक मासिक पत्रिका है। . अवस्थित शृङ्गवेरपुर और कहाँ मिर्जापुर से भी मीलों पूर्व लखनऊ के कान्यकब्ज-कालेज के तत्त्वावधान में इसका चुनार ! अयोध्या से चलकर चुनार के सामने गङ्गा पार प्रकाशन हो रहा है। अालोच्य अंक इसका द्वितीय अंक करनेवाला व्यक्ति इतना लम्बा रास्ता तय करने के बाद है। इसमें प्रकाशित सभी लेखों, कविताओं और कहानियां भी प्रयाग नहीं पहुँच सकता, क्योंकि उसे प्रयाग के समीप की संख्या २३ है । अनेक चित्रों का भी सुन्दर संग्रह किया भी प्राकर नौका की शरण लेनी पड़ेगी। अस्तु, इस पुस्तक गया है। छपाई साफ़ और सुन्दर है। यदि ज्योति का में भवभूति के सम्बन्ध में अध्ययन करने की काफ़ी सामग्री प्रकाशन इसी रूप में होता रहा तो इससे हिन्दी का हित प्रस्तुत की गई है। पुस्तक गम्भीर अध्ययन तथा बहुत होगा। हिन्दी-प्रेमियों को इस नई पत्रिका का स्वागत अधिक खोज के साथ लिखी गई है। करना चाहिए। -बिजली का साहित्य-अंक-सम्पादक, श्रीयुत -ठाकुरदत्त मिश्र प्रफुल्लचन्द्र अोझा 'मुक्त', प्रकाशक, बिजली-कार्यालय, ६- स्त्री व बालरोग चिकित्सा--लेखक व प्रका- बाँकीपुर, पटना हैं । वार्षिक मूल्य ३) है। शक डाक्टर बाबा सी० सी० सरकार एच० एम० बी०, बिजली के सम्पादक श्रीयुत मुक्त जी का परिचय देने होमियोपैथिक मेडिकल कालेज, लखनऊ हैं। पृष्ठ-संख्या की ज़रूरत नहीं है। कविता और कहानी लिखने में वे । ४४३ और मूल्य २॥) है। सिद्धहस्त है। बिजली का सुन्दर ढंग से सम्पादन कर अालोच्य पुस्तक होमियोपैथिक चारु चिकित्सा-माला उन्होंने इस क्षेत्र में भी सफलता प्राप्त की है। का दूसरा पुष्प है । इसमें स्त्रियों और बालकों के रोगों और बिजली का जो यह साहित्य-अंक आपने निकाला है उनकी चिकित्सा का वर्णन किया गया है। इसके लेखक उसमें साहित्य-विषयक ४१ लेख, कवितायें और कहानियों डाक्टर सरकार इस चिकित्सा प्रणाली के अनुभवी चिकि- का संग्रह है। इसमें प्रकाशित चित्रों की संख्या २१ है । त्सक हैं, अतएव वे इस विषय के ग्रन्थ लिखने के सर्वथा इसके सभी लेख सुन्दर और सुपाठ्य हैं। अधिकारी हैं । हिन्दी में आपके द्वारा होमियोपैथिक चिकित्सा- आशा है, मुक्त जी 'बिजली' को बिहार की एक प्रणाली सम्बन्धी जो ग्रन्थ-रचना हो रही है उससे हिन्दी के आदर्श पत्रिका बनाने में सफल होंगे। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035249
Book TitleSaraswati 1937 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1937
Total Pages640
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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