SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 511
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ संख्या ५] आज समस्त संसार की आँखें जर्मनी के उस भाग्य विधाता एडल्फ हिटलर की ओर लगी हुई हैं जिसने कल और आज के जर्मनी में आकाश-पाताल का अन्तर ला दिया है। हिटलर ने अपनी क्रान्तिकारी नीति से एक वर्ष के भीतर ही भीतर जर्मनी की जो काया पलट दी है उसका _ अध्ययन वास्तव में राजनीति का एक बड़ा मनोरंजक और साथ ही साथ मनोरम अध्ययन है । चाहे हम हिटलरिज्म के पक्ष में हों या विपक्ष में, संसार को वर्तमान राजनीति को समझने के लिए हिटलर के व्यक्तित्व का अध्ययन त्यन्तवश्यक है । प्रस्तुत पुस्तक में लेखक ने हिटलर के जीवन-चरित के अतिरिक्त जर्मनी में राष्ट्रीयता का विकास और महायुद्ध - सम्बन्धी उसकी नीति की भी काफ़ी सुन्दर विवेचना की है। वर्तमान जर्मनी का चित्रण तो लेखक ने अधिक सुन्दर किया ही है । भाषा के सम्बन्ध में लेखक कहीं-कहीं असावधान-सा देख पड़ते हैं । अँगरेज़ी - वाक्य विन्यास का इस प्रकार प्रयोग कि हिन्दी का मौलिक स्वरूप ही लुप्त हो जाय, सुन्दर नहीं लगता । तथापि शैली मनोरंजक और प्रभावशाली है । राजनीति के विद्यार्थियों के प्रति रिक्त साधारण वर्ग के पाठकों के लिए भी यह पुस्तक उपयोगी सिद्ध होगी । -कुसुमकुमार ३ - फूटा शीशा -- लेखक श्रीयुत सद्गुरुशरण अवस्थी एम० ए०, प्रकाशक, कृष्णकला- पुस्तकमाला, इलाहाबाद हैं । मूल्य २|| ) है | 1 'फूटा शीशा' में लेखक की इसी शीर्षक की दस कहानियों का संग्रह है । लेखक योग्य, शिक्षक तथा साहित्य के विभिन्न अङ्गों के समालोचक हैं। ऐसी स्थिति में उनका साहित्य-सृजन की ओर अग्रसर होना अनुपयुक्त नहीं । 1 'फूटा शीशा' की सब कहानियाँ अपना एक ही शीर्षक रखने के कारण सम्भव है, अपने भीतर लेखक का क्षेत्र सीमित किये हों । लेखक कथानक के उपयुक्त शीर्षक रखने का निश्चय करके जैसा जीवन के स्टारों का निरीक्षण करता, अपने विचारों का उनमें उन्मेष करता, और अपनी अन्तष्ट किसी दूसरी सीमा की ओर बढ़ाता, न हुआ हो; किन्तु प्रस्तुत शीर्षक की कहानियाँ पाठक के मन पर ऐसा प्रभाव नहीं छोड़तीं । सब कहानियों का एक ही शीर्षक 4 3 Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat M ४९१ होने के कारण पाठक पहले से ही प्रत्येक कहानी को एक नवीन उत्सुकता से पढ़ना प्रारम्भ करता है । कहना न होगा कि इन कहानियों के संग यह एक सुन्दर बात हुई है । इस संग्रह की अधिकांश कहानियाँ सुन्दर हैं । भाषा का सुन्दर प्रवाह, वर्णन में सुरुचि और विचारों का अच्छा चयन इन कहानियों में मिलता है । आशा है, सुयोग्य लेखक की इस कृति का हिन्दी-प्रेमी अवश्य स्वागत करेंगे । : वा० पा० ४ - तीन वर्ष (उपन्यास) – लेखक श्री भगवतीचरण वर्मा, प्रकाशक दि लिटरेरी सिंडिकेट, प्रयाग । मूल्य २) है । पृष्ठ संख्या ३४७ और छपाई, गेट अप आदि सुन्दर । प्रस्तुत पुस्तक 'तीन वर्ष' एक श्रेष्ठ उपन्यास है । इसका वातावरण ऊँची श्रेणी के धनी-मानी लोगों का है, जिसमें रमेशचन्द्र - एक बुद्धिमान्, किन्तु निर्धन व्यक्ति मिलता है । कुँवर अजितकुमार से क्लास में उसकी दोस्ती होती है और वह अपने दो साल उसी के साथ समृद्धि की हिलोरों में झूलता हुआ बिताता है। इसी बीच सर कृष्णकुमार की लड़की प्रभा से इन दोनों की दोस्ती हो जाती है । प्रभा रमेश को अपने प्रेम का खिलौना बना लेती है । पहला वर्ष तो रंग-रलियों में बीता। दूसरे वर्ष रमेश प्रभा के साथ 'ज्वाइंट स्टडी' करता है और एक लड़की के साथ ज्वाइंट स्टडी करने का जो परिणाम होना चाहिए, वही होता है । रमेश द्वितीय श्रेणी में पास हुआ, अजित प्रथम श्रेणी में । I तीसरा वर्ष प्रारम्भ हुआ । रमेश और प्रभा का प्रेम बढ़ता गया । श्रजित रमेश को प्रभा से अलग रखना चाहता था, किन्तु अन्धा रमेश न माना अजित के अनुरोध से रमेश प्रभा से विवाह का प्रस्ताव करता है । किन्तु प्रभा एक हज़ार रुपया माहवार चाहती है । निराश रमेश एक दिन जित पर टूट पड़ता है। किसी प्रकार अजित के प्राण बच जाते हैं । रमेश शराब पीना शुरू करता है । वह कानपुर भाग जाता है। सरोज नाम की एक वेश्या के यहाँ रहने लगता है । सरोज के हृदय था । वह रमेश से प्रेम करने लगी, किन्तु धोखा खाया हुत्रा रमेश उसे ठुकरा देता है। सरोज बीमार होकर मर जाती है और रमेश के नाम चार लाख छोड़ जाती है। इस रुपये का पाकर I • www.umaragyanbhandar.com
SR No.035249
Book TitleSaraswati 1937 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1937
Total Pages640
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy