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________________ ४६८ सरस्वती [भाग ३८ वैष्णव थे। ताम्र-पत्र की मुद्रा में गरुड़ की मूर्ति अंकित है। तीवरदेव का भतीजा हपगुप्त था। उसका विवाह, मगध ?) के मौखारी राजा ईशान वर्मा के पुत्र राजा सूर्य वर्मा की लड़की वासटा' से हुआ था। रानी वासटा और राजा हर्षगुप्त के सुपुत्र महाशिवगुप्त हुए, जो बालाजुन भी कहे जाते थे। वासटा रानी के भाई महा शिवगुप्त बालार्जुन के मामा भास्कर वर्मा (याने सूर्य वर्मा के पुत्र) बौद्धमतावलम्बी थे। उनकी सिफारिश से महाशिव गुप्त ने बौद्ध भिक्षयों को कैलाशपुर दान में दिया [टेकरी की खुदाई का दृश्य] था । तीवरदेव का समय अनुमानतः ५५५ ईसवी है। इससे उनके भतीजे के लड़के का समय ६०० से ६३० केसला होना सम्भव है। और कलसा का कला हो जाना तक होना सम्भव है। मलार के पास जैतपुर नामक ग्राम भी सम्भव प्रतीत होता है। मलार से ८ मील दूर अाग्नेय सम्भवतः यहाँ के बौद्धों को ही दान में दिया गया हो और की अोर 'कला' नामक एक ग्राम है। सम्भव है, यहीं वहाँ कोई प्रख्यात चैत्य रहा हो । कभी कैलासपुर रहा हो। दानपत्र के तथा कुछ मूतियों के भेजे जाने के बाद से उसी भाँति मलार से ११ मील दूर अकलतरा स्टेशन ही खुदाई का काम सरकार-द्वारा बन्द करा दिया गया है । से तीन मील तारोद नाम का एक गाँव है, जो सम्भवतः विशेषज्ञों का कहना है कि साधारण व्यक्तियों द्वारा खोदने तरडन्शक का अपभ्रंश हो। वहाँ कोई प्राचीन बौद्ध-मट के कारण भी कई मूर्तियाँ इत्यादि टूट-फूट गई होंगी, के खण्डहर हों तो निश्चित रूप से उसके 'तरडन्शक अतएव खुदाई-विभाग की देख-रेख में यह काम होना होने की संभावना है। चाहिए। जब यह काम उक्त विभाग द्वारा होगा तब वैष्णव राजा अपने का परम भागवत, शैव राजा संभवतः और भी ऐतिहासिक रहस्य प्रकट हए बिना न अपने को परम माहेश्वर, बौद्ध राजा अपने को परम रहेगा। सौगत कहते थे ! सुगत या तथागत बुद्ध को कहते हैं। कथित दानपत्रों के मूल लेख की नकल हम नीचे दे ___ कन्नौज के राजा हर्षवर्धन एक दिन सूर्य की, दूसरे रहे हैं - दिन शिव की और तीसरे दिन बुद्ध की पूजा करते थे। इसी प्रकार उदारहृदय महाशिव गुप्त ने शैव होते हुए भी बौद्ध-भिन-संघ का कथित ग्राम कैलाशपुर ग्रहण के समय दान-पत्र लिखकर दिया था। __ज्योतिष-गणित से पता लगता है कि अापाढ़ महीने में सूर्य-ग्रहण ६०८, ६२७ अौर ६४६ ईसवी में अमावास्या तिथि को पड़ा था । अतः महाशिव गुप्त का दान ६०८ या ६२७ में दिया गया होगा। ६४६ इसका होना संभव नहीं हो सकता। ___ सिरपुर के एक प्रसिद्ध राजा तीवर देव हो गये है। उनके भी कई ताम्र-पत्र मिले हैं। वे [गढ़ के चारों ओर जलपूर्ण खाई] Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035249
Book TitleSaraswati 1937 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1937
Total Pages640
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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