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________________ सरस्वत ..४०४ [भाग ३८ से उन्होंने भारतीय पत्रों में भावी युद्ध के सम्बन्ध में का साल सब मिलाकर हवाई शक्ति की उन्नति के विषय एक ज्ञातव्य लेख प्रकाशित कराया है। यहाँ हम में निराशाजनक रहा है। जब आप इस उसका कुछ अंश 'प्रताप' से उद्धृत करते हैं... करें कि कितने करोड़ रुपये ब्रिटेन के हवाई विभाग ने “मई सन् १९३७ के युद्ध के लिए तैयार रहो," यह राजनीतिज्ञों के हुक्म के मुताबिक़ तमाम ऐसे हवाई जहाज़ों वाक्य इस वक्त एक लोकप्रिय नारा बन,गया है, यद्यपि के बनाने में नष्ट कर दिये हैं जो वास्तविक युद्ध के लिए इस समय युद्ध-सम्बन्धी उत्तेजना जो मैंने सन् १९३३ बिलकुल बेमतलब के हैं।" मिस्टर ग्रे कहते हैं-"सारे और सन् १९३४ में देखी थो उसकी आधी भी नहीं है। राजनीतिक पागलपन की बात ब्रिटेन की हवाई शक्ति के इस वक्त वायुमण्डल कुछ बदला हुश्रा है। परन्तु चूंकि एक बहुत ही छोटे अफसर के उस कथन से जाहिर हो जापान ने अपना भाग्य जर्मनी के साथ संयुक्त कर लिया जाती है जिसमें उसने कहा है कि अगर ब्रिटेन को जर्मनी है. इसलिए उसे युद्ध में शामल होना ही है, यद्यपि से लड़ना है तो हमें जर्मन हवाई विभाग से ऐसा प्रबन्ध जनता का एक प्रभावशाली अंग युद्ध नहीं पसन्द करता। कर लेना चाहिए जिससे जर्मनी हमारे जहाजों के उतरने राजनीति के भविष्यवक्ता लोग अगले योरपीय के लिए अपने यहाँ इजाज़त दे दे और वहाँ पहुँचने पर युद्ध या उसी तरह की कोई और घटना के शुरू होने का हमें पेट्रोल भी सप्लाई कर दे।। समय अगला मई महीना बतलाते हैं । जमनी आक्रमणकारी इसका अर्थ यह है कि ब्रिटेन के हवाई विभाग में बनेगा और अपनी पूर्वीय सीमा पर किसी न किसी प्रकार पिछले साल जो बम बरसानेवाले जहाज़ रहे हैं वे अ का सैनिक प्रदर्शन करेगा। भविष्यवाणी की यह बात कोई देश से ३०० मील बाहर जाकर बिना कहीं ठहरे ३०० नई नहीं है। हिटलर के हाथों में ताकत पाने के समय से मील वापस नहीं पा सकते। अगर वे लगातार ५०० मील ही यह भविष्यवाणी कई बार दुहराई जा चुकी है। इस तक उड़े तो वापस पाने के लिए उन्हें कहीं उतरकर समय सिर्फ उसकी अधिक निश्चित पुनरावृत्ति की गई है। फिर पेट्रोल भरना पड़ेगा। "हमारे कुछ हवाई अडडे ऐसे जमनी युद्ध छेड़ेगा, इस विश्वास का आधार यह है कि हैं जिन्हें हम लम्बी दौड़ तक बम वर्षा करनेवाले लोग समझते हैं कि जमनी की अान्तरिक हालत के ज्यादा हवाई जहाज़ों के अड्डे कहते हैं, परन्तु उनके हवाई ख़राब हो जाने की इतनी अधिक सम्भावना है कि हिटलर जहाज़ इतने धीमे हैं कि अगर उन्हें काफ़ी ज़ोरदार हवा को अपने देशवासियों का ध्यान देश के अन्दरूनी मामलों का सामना पड़ जाय तो वे बमों का काफ़ी बोझ लाद कर से हटाने के लिए किसी न किसी प्रकार का बाहरी खेल देश से बाहर ५०० मील तक जा और पा नहीं सकते।" खड़ा करना पड़ेगा। मिस्टर ग्रे का कहना है कि यद्यपि ये बातें हवाई विभाग के जापान में रहनेवाले एक प्रमुख जमन ने अभी हाल प्रत्येक सदस्य को मालूम है, फिर भी "हवाई विभाग का में ही मुझसे कहा था कि “अगर हमारे उपनिवेश हमें मंत्रिमण्डल इस ढंग के निरर्थक हवाई जहाज़ बनवाता वापस न मिले तो हम लोग निश्चय ही युद्ध करेंगे । हम चला गया है, सिर्फ इस ख़याल से कि वह पालियामंट के युद्ध में कूदने से डरते नहीं, क्योंकि हमें इस युद्ध में कुंछ सामने कह सके कि संख्या में ब्रिटेन की शक्ति अधिक खोना नहीं है। दूसरा महायुद्ध अवश्यम्भावी है, क्योंकि मज़बूत है या कम से कम उतनी ही मज़बूत है जितनी कि ब्रिटेन जमनी को उपनिवेश नहीं देगा। योरप के अन्य देशों की है।" "अच्छा होता यदि हमने ब्रिटेन जानता है कि युद्ध उन राष्ट्रों के बीच होना ये पुराने ढंग के जहाज़ों का बनाना बिलकुल बन्द कर अवश्यम्भावी है जिनके पास साम्राज्य है और जिनके पास दिया होता और अपनी फैक्टरियों का सुधार करके नये नहीं है। उसकी घबड़ाहट का रहस्य 'ऐरोप्लेन' के सम्पादक ढंग के हवाई जहाज़ बनवाये होते। परन्तु हम सन्तोष मिस्टर सी० जी० ग्रे के उस लेख से मालूम होता है जिसमें कर लेते हैं कि हमने बहुत-से हवाई उड़ाके शिक्षित कर उन्होंने ब्रिटेन की हवाई ताकत की कमी और कमज़ोरी लिये हैं।" की लानत-मलामत करते हुए कहा है कि "सन् १९३६ पिछले सप्ताह एक ब्रिटिश अख़बारनवीस ने मुझसे Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035249
Book TitleSaraswati 1937 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1937
Total Pages640
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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