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________________ आनन्द चाई बता ही है। है कि नाश इसक ( ३९४ ) बायें से दाहिने अङ्क-परिचय .. ऊपर से नीचे १--मन का मोहनेवाला। १--इसके सदुपयोग से कितनों ही की तृष्णा मिट ४-यह बिरले ही निष्काम होता है। ७-भौंरा। जाती है। ८-किसी काम का करनेवाला। २-बच्चों के लिए मिठाई..... है। १०-लचकना में अन्तिम भाग उलट गया है। ३-यह भी सभ्यता का चिह्न है। १२-यानन्द चाहे किसी को इससे कभी मिलता हो, ४-जिसके खंड न हों। ५-यह अनुचर बिगड़कर बैठा है। १३-श्राम तौर से यही समझा जाता है कि नाश इसका ६-यह शब्द गम्भीर होता है। फल है। १४–धरती। १६-बन्दर। ९-किसी के श्रृंगार का नख-शिख-वर्णन इसके बखान १८-यह नाल उलटी बनी है। बिना अपूर्ण रहता है। २०-पहाड़। २१–मुश्किल । ११-सिनेमा का अाधार इसी पर है। २३-इसका राज्य घर-घर है। १३-यदि बड़ी हुई, तो कोई-कोई बच्चा रो उठता है। २४-एक प्रकार के लोग इससे भी लाभ उठाते हैं। १५-रागिनी। २५-जंगल में यह शंका से खाली नहीं। १७-तमाशा देखनेवाले को भीड़ में कभी-कभी.....'ही २७-किसी-किसी नव-वधू को सास का.... 'नहीं भाता। पड़ता है। ३१-इसका शब्द दूर तक होता है। १९-हर एक के मन में संशय पैदा कर देने में यह बड़े ३२-लाल रंग का। निपुण थे। ३३-भक्तों को इस पर केवल श्रद्धा ही नहीं रहती बल्कि २२-स्टेज (रंग मञ्च) पर किसी का यह कर्तव्य देखकर वे इसका पूजन भी करते हैं। दर्शकों का ध्यान आकर्षित हो जाता है । ३४- अस्वा दष्ट होने पर भी इसे कभी न कभी स्वीकार २४-इसे स्त्रियाँ बनाती ख़ब हैं। करना ही पड़ता है। २६ -यहाँ यूँघट उलटना पड़ेगा। २८-हरे रंग की। २९-दरार या भाव। ३०-रास्ता । नोट-रिक्त कोष्ठों के अक्षर मात्रा रहित और पूर्ण हैं वर्ग नं०८ को शुद्ध पूर्ति - वर्ग नम्बर ८ को शुद्ध पूर्ति जो बद लिफ़ाफ़े में मुहर लगाकर रख दी गई थी, यहाँ दी जा रही है । पारितोषिक जीतनेवालों का नाम हम अन्यत्र प्रकाशित कर रहे हैं । | lai JAM श अपना याददाश्त क लिए वगं ६ की पतियों की नकल यहाँ पर कर लीजिए। और इसे निर्णय प्रकाशन होने तक अपने पास रखिए । 11 INIFTheDF 20 Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035249
Book TitleSaraswati 1937 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1937
Total Pages640
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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