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________________ संख्या १ ] पाँच हाथ थी, जिसमें चार हाथ ज़हर का पानी भरा था। इस नाली में गिर कर भेड़ तैरती हुई उस पार निकल कर पक्के बाड़े में इकट्ठा होती थी । नाली के किनारे एक मज़दूर एक विशेप प्रकार की बनी लकड़ी लिये खड़ा था, जा भेड़ की गर्दन पर दबा देता था जिससे भेड़ का सिर भी ज़हरीले पानी में डूब जाय । यह काम बड़ी फुर्ती से हो रहा था। मिस्टर रंगून से ट्रेलिया मेक्गिग को लेकर कुल ६ आदमी इस काम में लगे थे, जो दिन भर में दस हज़ार भेड़ों को इस तरीके पर नहला कर छोड़ेंगे। पन्द्रह मिनट तक यह दृश्य देखकर मिस्टर मेकिंग को धन्यवाद देकर हम लोगों ने डुलक्का की राह पकड़ी, जो वहाँ से क़रीब ७० मील दूर था । समुद्र के किनारे के प्रमुख शहरों में ग्राने-जाने के लिए पक्की सड़कें हैं। आस्ट्रेलिया के भीतरी प्रदेश में भूमि समतल होने के कारण तथा नदी-नालों के प्रभाव में मदरत के लिए पेड़ काटकर ज़मीन साफ़ कर दी गई है और वह 'ट्रेक' के नाम से मशहूर है। इन्हीं ट्रैकों पर से मोटर श्राते-जाते हैं । जानवरों को भी इन्हीं से एक जगह से दूसरी जगह ले जाते हैं। इन सबकी वजह से लीक-सी बन गई है। वर्षा की निहायत कमी के कारण ही यह मार्ग सदा काम देता रहता है। जहाँ एक इंच भी पानी पड़ा कि वहाँ की चिकनी और लसदार मिट्टी जब तक सूख नहीं जाती सारी श्रावाजाही बन्द रहती है। रोमा से डुलक्का के लिए ऐसी ही राह से मोटर पर जाना था । मारे धक्कों के बदन चूर चूर हो रहा था । आश्चर्य है कि मोटर ऐसे Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat [ कीन्सलैंड में पशुओं का एक बाड़ा ] ३३ रास्तों पर किस तरह ठहरते हैं। मगर निहायत पुराने ढंग के मोटर आते-जाते देखकर उनके टिकाऊपन पर दङ्ग हो जाना पड़ता था। सभी मोटर रखनेवाले मोटर दुरुस्त करना जानते है, क्योंकि अगर कहीं मोटर बिगड़ गया तो मी किसी का सहारा मिलना कठिन है । रोमा से डुलका ७० मील दूर था, पर मोटर की गति १५ मील प्रतिघंटे से ज्यादे की नहीं थी । औसत १० मील प्रतिघंटा समझिए एक जगह दोपहर को जल पान किया । चार लगभग काले बादलों का एक झुंड दिखलाई दिया । उस समय तय हुआ कि जैक्सन नामक जगह में चाय पी जाय । इतने में बूँदें पड़ने लगीं और पाव इंच के लगभग पानी भी बरसा । मिस्टर नाइट कहने लगे कि बजे के डुलका जो वहाँ से केवल दस मील रह गया था, जाना सम्भव है। मिट्टी गीली हो जाने से चिकनी पड़ गई होगी और फँस जाने का डर है । यह बातचीत हो रही थी कि नई उम्र का एक आदमी आया, जो मिस्टर नाइट का परिचित था । उसने कहा कि मैं भी डुलका जा रहा हूँ । यदि आप कहें तो आपका मोटर www.umaragyanbhandar.com
SR No.035249
Book TitleSaraswati 1937 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1937
Total Pages640
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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