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[प्रतिमास प्राप्त होनेवाली नई पुस ६ की सूची । परिचय यथासमय प्रकाशित होगा]
१-फिर निराशा क्यों ?-लेखक, श्रीयुत गुलाब- १-श्री अरविन्द और उनका योग-संपादक, राय एम० ए०, प्रकाशक, गंगा-पुस्तक-माला-कार्यालय, श्रीयुत लक्ष्मण नारायण गर्दे हैं। पता-श्री अरविन्दलखनऊ हैं । मूल्य ११) है।
ग्रन्थमाला, ४, हेयर स्ट्रीट, कलकत्ता । मूल्य |) है। २-भारतीय भेषजरत्नावली-लेखक, डाक्टर योगिवर अरविन्द घोष के योग का 'सम्यक तथा लक्ष्मीचरण वर्मा, एम० बी०, प्रकाशक, दि धनेश्वरी, प्रामाणिक ज्ञान' हिन्दी-भाषियो का कराने के उद्देश होमियो-फारमेसी, शिवगंज, अारा हैं । मृल्य १) है। से 'श्री अरांवन्द-ग्रन्थमाला' के प्रकाशन का आयोजन ____३-शुक-पिक (कविता)-लेखिका, श्रीमती तारा किया गया है। उस ग्रन्थमाला की यह प्रथम पुस्तक है। पांडे, प्रकाशक, विशाल भारत-बुक-डिपो. १९५१ हरिसन- इसमें श्री अरविन्द के योग तथा उनके अाध्यात्मिक रोड, कलकत्ता हैं । मूल्य |||) है।
विचारों पर प्रकाश डालनेवाले सात नियन्धों का अनुवाद ४-संगीत-सुधा ( गीत )-संकलनकर्त्ता--श्रीयुत है। ये निबन्ध उन विभिन्न व्यक्तियों के लिखे हुए हैं जो मुरारीलाल शर्मा, प्रकाशक, लीडर-प्रेस, इलाहाबाद हैं। उनके सम्पर्क में या उनके पाण्डेचेरी के आश्रम में रहे हैं । मूल्य II) है।
प्रारम्भ में श्री दिलीपकुमार राय द्वारा लिखित 'श्री अरविंद५-७–श्रीमती यशोदादेवी के वनिता-हितैषी- चरित्र' दिया गया है। अभीप्सा (आरोहणेच्छा), त्याग प्रेस. पा० बा० नं०४, कर्नलगंज, इलाहाबाद-द्वारा और अात्मसमपण के द्वारा चैतन्य-प्रभु को विज्ञान शाक्त प्रकाशित पुस्तके
का मन-बुद्धि, प्राण और शरीर में अवतरण करना, जड़े (१) पति के पत्र-मूल्य ||) है।
प्रकृति में दिव्य जीवन उत्पन्न कराना ही उनके योग का (२) पत्नी की मनोहर चिट्टियाँ मूल्य II) है। उद्देश इसमें बतलाया गया है। 'जीवनकला-योग' में (३) पातिव्रत धर्ममाला-मूल्य ||) है। 'हमारा योग हमारे लिए नहीं, प्रत्युत मनुष्य-जाति के
८--जीवन-ज्योति--लेखक, पंडित श्यामसुन्दर लिए है।' तथा 'हमारा योग मनुष्य जाति के लिए नहीं, द्विवेदी, प्रकाशक, श्रीबल देवदास मोहता, ३५ बाँसतल्ला बल्कि परमात्मा के लिए है।' देखने में इन दो परस्पर स्ट्रीट, बड़ा बाज़ार, कलकत्ता है। मल्य
विरोधी उक्तियों के सामजस्य की इस निबन्ध में चेष्टा की ५-जन-समुदाय की रामकहानी-लेखक, श्रीयुत गई है तथा उनका योग-रहस्य समझाया गया है। पुस्तक राधाकृष्ण तोषनीवाल, प्रकाशक, श्रीराजस्थान-हिन्दी-उपा- के अन्य निवन्ध भी ऐसे ही महत्त्व-पूण हैं। सना-म.न्दर, अजमेर हैं । मूल्य ।। है।
सम्पादक महोदय ने हिन्दी में इन विचार-पूर्ण १०–सप्त सरिता-लेखक, श्रीयुत काका कालेलकर, निवन्धों का प्रकाशन करके श्री अरविन्द की साधना और अनुवादक, श्रीयुत हृषीकेश शर्मा, प्रकाशक, सस्ता साहित्य- उनके प्राध्यामिक विचारों को हिन्दी-भाषा-भाषियों के. मण्डल, दिल्लो हैं । मूल्य ।) है । '
लिए सुलभ करने का जो प्रयत्न प्रारम्भ किया है वह सवथा ११-चंतावनी-समीक्षा-लेखक व प्रकाशक पंडित स्तुत्य है। आध्यात्मिक विचारों में रुचि रखनेवालों तथा हरदेव शर्मा त्रिवेदी, श्री मातण्ड-पंचांग-कार्यालय, कुलारी श्री अरविन्द के योग-रहस्य से परिचय प्राप्त करने की इच्छा (पजाब) हैं । मूल्य ३) है।
रखनेवालों के लिए यह ग्रन्थमाला सर्वथा संग्रहणीय है।
पुस्तक की छपाई भी सुन्दर है। अनुवाद तो प्राञ्जल है ही। ३८७
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