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________________ संख्या १] रंगून से आस्ट्रेलिया अब चुंगीवालों की बारी आई। सारा सामान अच्छी तरह खोलकर देखा गया। खैर, किसी के पास चुंगीवाली काई वस्तु नहीं थी। मुसाफिरों के पास आस्ट्रेलिया के सिक्के नहीं थे। इनकी सहूलियत के लिए वायुयान से एजेंट को तार कर दिया गया था और उसने बैंक के मैनेजर से बदोबस्त करके बैंक खोल रखने के लिए कह दिया था, जिससे हम लोगों के वहाँ जाने पर हुंडी भुनाकर आस्ट्रेलियन रुपया मिल सके। चुंगीघर [एक आस्ट्रेलियन चरागाह ] से निकलकर रुपया भुनाकर विश्रामगृह में पहुँचे । पोर्ट डार्विन में केवल नज़र आये। आबादी का कहीं नामोनिशान नहीं था। २,००० मनुष्य बसते हैं। दूर दूर पर बँगले नज़र आते वृक्षाच्छादित समतल भूमि में जहाँ-तहाँ मरुभूमि के पीले पीले थे। भूमि समतल थी। उसी पर से मोटर की लीक टुकड़े दृश्य की समानता को भंग करते थे। अाठ बजे वायुयान बन गई थी। पक्की सड़क का नामोनिशान नहीं था। डेलीवाटर्स नामक जगह पर आया । यहाँ सिर्फ एक घर विश्रामगृह लकड़ी का बना हुआ था और समुद्र-तट एक अँगरेज़ का है, जो किसी तरह अपना गुज़र करते हैं । पर था। इसमें १२ आदमियों के ठहरने की जगह थी। वायुयान का अड्डा बन जाने के कारण इन बेचारे के बरामदा बहुत बड़ा था। गर्मी थी, इसलिए बरामदे में ही परिवार को जीविका का एक साधन मिल गया है । हवाई सोने का प्रबन्ध था। विश्रामगृह की संचालिका एक बूढ़ी मुसाफिरों को नाश्ता देने का प्रबन्ध इन्हीं के ज़िम्मे रहता है। मेम थी। एक नौकरानी भी थी । यहाँ का समय जावा के बूढ़ी मेम एक कमरे में मेज़ पर नाश्ते का सामान चुने समय से २ घंटे अागे था। इसलिए घड़ियाँ २ घंटे बढ़ाई हुए तैयार थी। घर का मधु भी रक्खा था, जो बहुत ही गई। सकुशल आस्ट्रेलियन भूमि पर पैर रखने के तार सुस्वादु था। बातचीत करने पर मालूम हुआ कि वे लन्दन करने थे, जो टेलीफोन से तार आफिस में कर दिये गये। की रहनेवाली है, एक भद्र परिवार में उनका जन्म हुआ थोड़ी देर के बाद उनकी कीमत की ख़बर मिली, जो विश्रा- है, शिक्षा भी अच्छी पाई है, पर भाग्य की ठोकर से इस मगृह की मालकिन को चुका दी गई। निर्जन प्रान्त में प्रा बसी हैं। स्नानकर व थोड़ी देर टहलकर रात का भोजन इसी बीच में एक दूसरे हवाई जहाज़ के आने की किया। समुद्री हवा बह रही थी। खूब नींद आई। सुबह आवाज़ आई । पूछने पर मालूम हुआ कि वह वायुयान हमेशा की तरह उठकर नाश्ता किया और एयरोड्रोम आये। दक्षिण-पश्चिमीय आस्ट्रेलिया के पर्थ नामक शहर को पोर्ट डार्विन से उड़ने पर विशाल जंगल ही जंगल हवाई डाक ढोता है । फ़र्स्ट आफ़िसर जल्दी से उठकर ,
SR No.035249
Book TitleSaraswati 1937 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1937
Total Pages640
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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