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________________ संख्या ४] . भारत के प्राचीन राजवंशों का काल-निरूपण पर मिस्र के राजाओं की संपूर्ण वंशावली तैयार की थी। · है कि वह अपने पिता का नाम शारूकिन लिखता है। राजा टालेमी सिकन्दर के साथ भारत पाया था और बाद सुमेर-राजाओं के जो नाम हम अन्यत्र लिख चुके हैं में मिस्र का बादशाह हया था। परन्तु खेद है कि इस उनमें ३७वें राजा शगुर का दूसरा नाम शारूकिन दिया वंशावली में मिस्त्री राजाओं के मूल मिस्री नाम नहीं दिये गया है और उसके पुत्र का नाम 'मनिश'। इससे यह गये, किन्तु ग्रीक-उच्चारण के अनुसार नाम दिये गये हैं। सिद्ध हो जाता है कि सुमेर-राजा शगुर का पुत्र मनिस ही ठीक वैसे ही जैसे कि चन्द्रगुप्त, पाटलिपुत्र, भृगुकच्छ आदि मिस्र का प्रथम राजा मज या मेनेज़ था। इस प्रकार मिस्र भारतीय नामों को ग्रीक-लेखकों ने सेन्डाकोटस, पाली- के इतिहास का प्रारंभ-काल भी ठीक-ठीक मालूम हो जाता बोथा, बारेगाज़ा आदि लिखा है। इसके अतिरिक्त मिली है। मनिश के राज्य-काल का प्रारम्भ ई० पू०२६६७ में राजाओं की दो और वंशावलियाँ पाई जाती हैं। वे हैं हुआ था। परन्तु मनिश मेसोपोटामिया में अप' ट्यूरिन पेपिरस और मिस्र के राजा सेती (प्रथम) की राज्याधिकारी होने के ३५ वर्ष पूर्व अर्थात् ई० पू० २७०२ शिला-लेख पर खुदी हुई वंशावली। राजा सेती प्रथम की में मिस्र का राजा हो चुका था। ऐसा क्यों हुआ था, इसका वंशावली में मिस्री राजाओं के मूल-नाम मिस्र की चित्राक्षर- कारण हम अन्यत्र लिखेंगे। लिपि में दिये हुए हैं । चित्र-लिपि में लिखे हुए नामों भारत के प्राचीन राज-वंश के विषय में उच्चारण में थोड़ा मतभेद होता है, क्योंकि संसार के अति प्राचीन देश सुमेर और मिस्र के इतिचित्राक्षर-लिपि की लेखन-प्रणाली ही ऐसी होती है। हास का काल-क्रम तो निश्चित हो चुका। अब भारतवर्ष मेनेथा ने मिस्त्र के प्रथम राजा का नाम मेनेज़ लिखा है। की ओर देखना चाहिए। यहाँ के राज-वंशों की क्रमबद्ध सेती-थम के शिला-लेख पर इसका जो मूल मिती नाम है वंशावलियाँ पुराणों में पाई जाती हैं। इनमें विष्णुपुराण उसका भिन्न-भिन्न विद्वान् दो प्रकार से उच्चारण करते हैं। की वंशावली मुख्य है। पुराण ग्रंथों में यह कहीं नहीं लिखा अँगरेज़ विद्वान् उसको 'मना' पढ़ते हैं और जर्मन विद्वान् है कि कौन राजा कब हुआ और उसने कितने वर्ष राज्य 'मज' । परन्तु मना की अपेक्षा मंज ही 'मेनेथो के 'मेनेज' किया। उनमें केवल वंश-सूची भर पाई जाती है। से अधिक मिलता-जुलता है। इससे सिद्ध होता कि उसका महाभारत का काल मल नाम 'मंज ही था। मेगास्थनीज़ नामक एक ग्रीक राजदूत भारतवर्ष के सर फ्लिन्डस पेट्री को मिस्र के एबीडोस नामक स्थान पालीबोथा नगर के राजा सेन्डाकोटस के दरबार में बहत में मिस्र के प्रथम राज-वंश तथा उससे भी पहले के दो समय तक रहा था। उसने अपना भारत-विवरण लिखा है। प्राक्-राज-वंशीय राजाओं की समाधियाँ प्राप्त हुई हैं। विद्वानों के मतानुसार मौर्य वंश का चन्द्रगुप्त ही जिसकी इनमें एक समाधि मिस्र के प्रथम राजा 'मंज' की भी प्राप्त राजधानी पाटलिपुत्र थी, मेगास्थनीज़ का सेन्ट्राकोटस था। हुई है। इन समाधियों में इन राजाओं के लेख एक इस पहचान के आधार पर चंद्रगुप्त मौर्य का काल ई० पू० प्राचीन चित्र-लिपि में प्राप्त हुए हैं। यह चित्र-लिपि अब ३१२ निश्चित हुआ है और यही भारतीय इतिहास के मिस्री चित्राक्षर-लिपि की माता सिद्ध हो चुकी है। इसलिए काल-क्रम की नींव है। चन्द्रगुप्त से १०० वर्ष पूर्व महाइसको आदिम मिती लिपि कहते हैं। नन्दी हुअा था। विष्णुपुराण के अनुसार महानन्दी से ___ यह श्रादिम मिस्त्री लिपि सुमेर-लिपि से बहुत-कुछ नन्दिवर्धन तक के ११ राजाओं ने ३६२ वर्ष राज्य किया मिलती-जुलती है और इसकी सहायता-द्वारा ही पढ़ी जा था। इसके पूर्व प्रद्योत-वंश के ५ राजाओं ने १४८ वर्ष सकती है। मित्र के प्रथम राजा मेनेज़ या मंज की कब्र में राज्य किया था। इससे आगे विष्णुपुराण काल के विषय सर पेट्री को आबनूस की तख्तियों पर लिखे हुए उसके में मौन हो जाता है। इस प्रकार ज्ञात होता है कि प्रद्योतकुछ लेख मिले हैं। इन लेखों में आदिम-मिस्री लिपि में वंश का प्रथम राजा प्रद्योत ई० पू० ३१२ + १०० । उसका जो नाम लिखा हुआ है उसका उच्चारण मंज के ३६२ + १४८-९२२ में सिंहासन पर बैठा था। प्रद्योत अतिरिक्त 'मनिश' भी होता है, और आश्चर्य की यह बात ने मगध-वंशी राजा रिपुंजय से राज्य छोन लिया था। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035249
Book TitleSaraswati 1937 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1937
Total Pages640
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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