SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 362
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३४८ सरस्वती गोधा (भंगिन का स्वाँग भरकर ) बालक महाराजा अजीतसिंह राठोड़ को दिल्ली में सँपेरा भेषधारी मुकन्ददास खीची के सुपुर्द कर रही है । कि कहीं बालक राजकुमार हाथों से न निकल जाय । इसलिए उसने कोतवाल को श्राज्ञा दी कि मृत राजा की रानियों को राजकुमार के सहित शाही महलों में ले श्राश्रो और यदि कोई सामना करे तो उसे सज़ा दो। इस पर दुर्गादास की संरक्षता में राठौड़ वीर लड़ने को तैयार हो गये और युद्ध न गया। रानियाँ भी युद्ध में जूझकर काम आई । युद्ध के पश्चात् जो नक़ली राजकुमार बादशाह के हाथ लगा उसे जोधपुर के डेरे से गिरकर हुई दासियों को दिखाकर उसने अपनी तसल्ली कर ली और उसे अपनी पुत्री जेबुन्निसा को परवरिश के लिए सौंप दिया । बादशाह ने इस नकली राजकुमार का नाम 'मुहम्मदी राज' रक्खा और यह औरङ्गज़ेब की सेना में रहकर बीजापुर ( दक्खन) में दस वर्ष की आयु में बचा (प्लेग से मर गया । जब तक असली राजकुमार अजीतसिंह जी का विवाह उदयपुर Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat [ भाग ३८ के महाराना ने अपने भाई गजसिंह की कन्या से संवत् १७५३ (सन् १६९६ ई०) में नहीं कर दिया तब तक बादशाह का इस विषय में सन्देह नहीं हुआ । दूर गोरौँ धाय का यह पूर्व त्याग मारवाड़ के इति हास में अमर पद पा गया है और इसी लिए इसका नाम जोधपुर-राज्य के राष्ट्रीय गीत जाता 'धना' में गाया है । इस स्वामिभक्ति के कारण ही राज्य की ओर से प्रकाशित 'राष्ट्रीय गीत' पुस्तिका में भी गोरों धाय के नाम का उल्लेख श्रद्धा के साथ किया गया है । गोरों धाय की बनवाई बावड़ी (बापी) जोधपुर शहर में पोकरण की हवेली से सटी हुई है, जो अब अपभ्रंशरूप में 'गोरखा' (गोराँ धाय) बावड़ी कहलाती है । वह देवी संवत् १७६१ की ज्येष्ठ वदी ११ गुरुवार को अपने पति धा मनोहर के साथ सती हुई । जोधपुर में इसी की सुन्दर बड़ी छत्री (देवल) दरबार - हाई-स्कूल के पास कचहरी रोड पर स्थित है । छत्री में एक टूटा-सा शिलालेख * देखो जोधपुर-राज्य की ओर से छपा 'नेशनलएन्थम' पृष्ठ ३ (मुकन जैदेव गोरौं जसधारी धन दुगो राखियो अजमाल || वाह० ||७|| ) www.umaragyanbhandar.com
SR No.035249
Book TitleSaraswati 1937 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1937
Total Pages640
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy