SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 335
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ संख्या ४] फ्रांस का देहाती जीवन ३२१ Hansrcesareangsters, 'ममी' अपने बच्चों का पाठ याद कराती और उनका पिता उन्हें अंगर के गुच्छे इनाम के बतौर देता है । बच्चे बड़े नटखटी और शरीर होते हैं। फ़रामीसी स्कूलों में फ्रेंच, थोड़ा सा गणित और इनिहाम ही बहुत ज़रूरी विषय समझे जाते हैं। प्रारम्भिक शालायों में इन्हीं बातों पर विशेष ध्यान दिया जाता है । वहाँ की शिक्षा वेकार नहीं जाती। कालेज की शिक्षा भी जीवन की अावश्यकता के अनुसार ही दी जाती है। बेकारी का सवाल वहाँ इतना ज़बर्दस्त नहीं, जितना कि अन्य यापीय राष्ट्रों में है। कालेज और यूनिवर्सिटी की शिक्षा वहाँ वहृत कम दी जाती है। यह शिक्षा केवल शहरों में ही अधिक प्रचलित है। ग्रोसत गृहस्थ तो अपने बच्चों का कालेज भेजता ही नहीं। लड़कियाँ बहुत कम ऐसी है जी कालेज नक पहुँचे। प्रारम्भिक शिक्षा समाप्त होत ही व गृहया के कामों में जान दी जाती है । नवयुवतियों और लड़कियों के सामने 'जोन ग्राफ पाक का अादश मदेव उपस्थित रहता है। बचपन में ही उन अाक का जीवन चरित मन्वाग्र करा दिया जाता है अब केन्याबाग में ग्राकका भी एक जवस्त त्योहार है. जिस दिन प्रत्येक फ़ासीनी युवती पार्क की पनिमा के सम का बड़ा होकर पलना करता है कि वह पार्क की तरह---- या धमर याने पर बने प्यारे देश के लिए बड़े से बड़ा त्याग करने के लिए मदेव तयार रहेगी। यह प्रतिज्ञा प्रत्येक फ़समीमा युवती में टम यात्मवल का संचार करती है। ग्रामीण वृद्धा चम्चा चलाती है और गाती है।। जिसके लिए अनेक गट लालायित रहते हैं। ग्राज कई का मुसाफिर है। जीवन मे उसे अनुगग है: निराशा नहीं। मौ वान फस जान को यादगार में प्रतिवर्ष अपनी दुनिया के सामने वह 'कष्ट भोगी' कहलाना पसन्द करता प्रत्येक युवती से वह प्रतिमा करवाता है जिसके लिए जोन है। यह स्वभाव से अल्हड़ और मस्त होता है । ममखरापन ने अपना उत्सग किया था। पगमीसी राष्ट्र की अपनी विरामन है। फ्रांस का युवक-समाज व्यावहारिक और कार्य कुशल क्रम अन्य देशों के लिए फैशन तैयार करता है। होता है। सद्धान्तिक वानों पर वह ईमान नहीं लाता । वह फगामी स्त्रियाँ स्वभाव में ही सफ़ाई-पसन्द होती हैं । वे सब कुल, मामने देवना और उसे वहीं करना चाहता है। इतनी सफाई से रहती है कि उनकी बहन सहन एक फैशन जो कुछ बह करता. वही करना भी है। 'भागम-कुमी की पैदा कर देती है। उनकी सफाई और रहने का तरीका राजनीन महकाना दर ना। वह तड़क-भड़क से विचित्र होता है। यही कारण है कि वे फैशन को रोज़ ही रहना भी पसन्द नहीं करना । मात्विकता उसके जीवन का जन्म देती हैं। उनका शरीर सुडौल होता है और मेहनत कत्व है। मदानी रोशाक और सिपाहियाना दृद शमीमियों उन्हें और भी निवार देनी है । गसीसी स्त्री से कहीं अधिक की पनी विशेस्ता है। वह भावना कम, लकिन करता सुन्दर नाव. स्काटलर और अमरीकाश्री त्रियां होती हैं। बहुत है। नजाकत से बहुत दूर रहता है। वह कम माग किन्नु व मुडौल नहीं होता और उनके रहने का तरीका भी inge . S Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035249
Book TitleSaraswati 1937 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1937
Total Pages640
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy