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________________ संख्या ३] सम्पादकीय नोट ३०५ उनसे परिपूर्ण हैं। यही कारण है कि बार बार अव- इटलीवाले अभी तक अपना पूरा प्रभुत्व स्थापित करने सर आ जाने पर भी युद्ध छेड़ने का काई साहस नहीं कर में सफलमनोरथ नहीं हो सके हैं और उन्हें वहाँ के स्वारहा है, और सारी परिस्थिति इस स्थिति को आ पहुँची है धीनता-प्रेमी वीर निवासियों से जगह जगह करारा मोर्चा लेना कि वहाँ का सारा वायुमंडल अविश्वास और ईर्ष्या-द्वेष पड़ रहा है । यह सच है कि सुशिक्षित और साधन-सम्पन्न से पूर्णतया विषाक्त हो गया है। ऐसी दशा में यही कहना इटली की सेनाओं के आगे अबीसीनियावाले अधिक समय होगा कि योरप का रक्षक भगवान ही है। तक नहीं ठहर सकेंगे, तथापि उनको अपने वश में ले आने के लिए इटलीवालों को धन-जन की बहत अधिक हानि अबीसीनिया का अन्तिम प्रतिरोध उठानी पड़ेगी । तब कहीं जाकर वे अबीसीनिया पर अपना अबीसीनिया के सम्राट हेल सेलासी के देश-त्याग करने आधिपत्य स्थापित करने में सफल हो सकेंगे। पर ही यह प्रकट हो गया था कि इटली की युद्ध में विजय हो गई। परन्तु इधर की घटनाओं को देखने से जान पड़ता है संयुक्त-प्रान्त की म्युनिसिपेल्टियाँ कि संगठित विरोध का अभाव हो जाने पर भी अबीसीनिया संयुक्त-प्रान्त की म्युनिसिपेल्टियों की गत वर्ष की के योद्धा बिना युद्ध के इटलीवालों का अपने देश पर कार्यवाही पर प्रान्तीय सरकार का हाल में मन्तव्य प्रकाअधिकार नहीं हो जाने देंगे। रास कस्सा के दो पुत्रों के शित हो गया है। उससे प्रकट होता है कि उनकी दशा मार डाले जाने और रास इमरू के आत्मसमर्पण कर पूर्ववत् ही असन्तोषजनक बनी हुई है। वे न तो अपनी देने पर भी अबीसीनिया में योद्धात्रों के दल, जान पड़ता सीमा के भीतर सभी स्थानों में समानरूप से पानी का है, युद्ध को बराबर जारी किये हुए हैं। ऐसे योद्धाओं की वितरण ही कर सकी हैं, न सड़कों की उपयुक्त मरम्मत कुल संख्या इस समय १५,००० के लगभग अनुमान की ही। सड़कों पर ३९ म्युनिसिपेल्टियों ने पिछले वर्ष की जाती है और ये लोग हरार-प्रान्त के चार प्रमुख सरदारों के अपेक्षा यदि कम खर्च किया है तो ४५ ने ज़्यादा खर्च नेतृत्व में कारूम्लाटा और चेरचेर के आस-पास इटलीवालों किया है और इस तरह पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष पर अपने अचानक अाक्रमण करते ही रहते हैं । गत मई २३२ लाख रुपए ज़्यादा ख़र्च किया है । तो भी सड़कों की से इटली के वायुयान इन पर बम्ब बरसाते आये हैं, हालत अच्छी नहीं रही। परन्तु इन योद्धात्रों ने अात्मसमर्पण करने से बार बार इनकार बच्चों की मृत्यु में भी वृद्धि हुई है। जहाँ पिछले किया है । इटलीवालों के जनरल नासी उन सरदारों में से साल हज़ार में २२२४६ मरे थे, वहाँ इस वर्ष २७१८९ प्रत्येक के सिर के लिए १० हज़ार लायर का पुरस्कार घोषित फ़ो हज़ार मरे हैं । यह अवस्था चिन्ताजनक है। निस्सन्देह किये हुए हैं, परन्तु वे आज भी अपने पहाड़ी देश की ज़च्चों और बच्चों की व्यवस्था में उचित ध्यान दिया गया बदौलत स्वाधीन हैं। इसके सिवा अरुस्सी और बली के है और अन्य ६ नगरों में उनके लिए नये केन्द्र खोले जिलों में दो अन्य सरदार अपने अनुयायियों के साथ स्वाधी- गये हैं । इस प्रकार उनकी संख्या अब ५२ हो गई है। नता का झंडा अलग खड़ा किये हुए हैं और मौका पाते ही उनका काम भी सन्तोषजनक रहा है। कहा जाता है कि इटलीवालों पर छापा मारकर उन्हें मार डालते हैं । इसी लोगों ने उनसे पर्याप्त सहयोग नहीं किया। ऐसा क्यों हो प्रकार सिदामो में भी रास दस्सिता आदि कई स्थानीय रहा है, इसका जानना ज़रूरी है। कोई न कोई असुविधा सरदारों के साथ शोअन और गल्ला योद्धात्रों को लिये ज़रूर होगी। नहीं तो लोग ऐसी उपयोगी संस्था से लाभ हुए पहाड़ियों में छिपे रहकर लूट-मार मचाये रहते हैं। उठाने से अपने को क्यों वंचित रखते ? उधर उगंडा की सीमा के पास माजी के समीप इथोपिया म्युनिसिपल स्कूलों के व्यय में तथा उनकी छात्रके सिंहासन का दावीदार और मेनलिक का भतीजा देदज- संख्या में काफी वृद्धि हुई है। परन्तु शिक्षा-विभाग के समैच थाया अपने दलबल के साथ मोर्चा लगाये डायरेक्टर की यह शिकायत है कि अनिवार्य प्रायमरी बैठा है। कहने का मतलब यह है कि अबीसीनिया में शिक्षा के प्रचार में सुस्ती की गई है। यह निस्सन्देह बड़े फा. १३ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035249
Book TitleSaraswati 1937 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1937
Total Pages640
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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