SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 315
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ संख्या ३] सामयिक साहित्य ३०१ को वह हानि पहुँच सकती है जो अब तक बुरे-से-बुरा कारण ही अधिक बदनाम हैं। भारतीयों में शिक्षा के आन्दोलनकारी न पहुँचा सका होगा। अभाव के लिए पहली और अन्तिम ज़िम्मेदारी गवर्नमेंट ___ मेरा यह विश्वास है कि प्रदर्शनी के लिहाज़ से सन् की ही है। अगर देश में शिक्षा का पर्याप्त मात्रा में प्रसार १९१० की इलाहाबाद की प्रदर्शनी इससे कहीं अच्छी थी। हो तो स्वभावतः यहाँ से बाहर जानेवाले देशवासी भी किन्तु भारतीय उद्योग-धन्धों की प्रदर्शनी तथा शिक्षा- शिक्षित ही होंगे। माननीय शास्त्री से यह मालूम कर प्रद प्रदर्शन के लिहाज़ से लखनऊ की वर्तमान प्रदर्शनी प्रत्येक भारतीय को हर्ष होना चाहिए कि आचरण के सन् १९१० को इलाहाबाद की बड़ी प्रदर्शनी से कहीं विचार से मलाया के भारतीय अब पहले वर्षों की अपेक्षा अच्छी है। बेहतर अवस्था में है। देहात में भारतीयों का आचरण ___ अन्त में मैं उन सरकारी कर्मचारियों को बधाई देना गिरा हुआ नहीं। इस पहलू में अगर किसी स्थान के चाहता हूँ जिनके ऊपर इस प्रदर्शनी के कार्य का भार भारतीयों पर अँगुली उठाई जा सकती है तो वे शहर में पड़ा है और जिन्होंने इस कार्य को बड़ी सफलता के साथ रहनेवाले भारतीय हैं और इनमें भी वे लोग जो रुपया सम्पन्न किया है । हमें आशा करनी चाहिए कि जब वर्तमान उधार देने का कारबार करते हैं। ये लोग अपने परिवारों प्रदर्शनी के ख़र्चे का हिसाब तैयार किया जायगा तब वह को अपने साथ नहीं ले जाते। इसी प्रकार क्ली और इलाहाबाद की प्रदर्शनी की अपेक्षा कर-दाताओं के लिए मिस्त्रीगिरी का काम करनेवाले कई लोग जिन्हें अधिक कम भारी साबित होगी। वेतन नहीं मिलता, स्त्रियों के बिना ही रहते हैं। इन लोगों का अाचरण प्रायः ख़राब पाया जाता है, मगर यह ख़राबी कोई ऐसी नहीं कि जो दूर न की जा सकती हो। शराब मलाया में भारतीयों की दशा । की इल्लत मलाया के भारतीयों में निश्चित रूप से कमी मलाया में भारतीयों की क्या स्थिति है ? इसकी पर है । माननीय शास्त्री का कहना है कि जब से सरकार जाँच करने के लिए भारत सरकार की ओर से ने यह पाबन्दी लगाई है कि कोई मनुष्य एक दिन में माननीय श्रीनिवास शास्त्री वहाँ भेजे गये थे। एक नियत मात्रा से अधिक शराब नहीं ले सकता तब शास्त्री जी अब वहाँ से लौट आये हैं और आपने से नशा पीने की आदत बराबर कमी पर है। मलाया की अपनी रिपोर्ट भारत-सरकार को दे दी है। रिपोर्ट भारतीय स्त्रियों का इस बुराई को दूर करने में भारी हाथ अभी प्रकाशित नहीं हुई, पर एक पत्र-प्रतिनिधि से है। वे न केवल यह कि खुद नशा नहीं करतीं, बल्कि उन्होंने बहुत-सी ज्ञातव्य बातें बताई हैं, जिनके पुरुषों को भी विनाश के इस मार्ग पर जाने से रोकती आधार पर 'हिन्दी-मिलाप' ने उपर्युक्त शीर्षक में हैं। ये सब हालात जो माननीय शास्त्री की ज़बानी मालूम एक अग्रलेख प्रकाशित किया है। यहाँ हम उसी हुए हैं, उत्साह भङ्ग करनेवाले नहीं। लेकिन फिर भी लेख का एक अंश उद्धृत करते हैं मलाया के भारतीयों की दशा का ठीक चित्र इन बिखरी ___ मलाया एक सुन्दर प्रायद्वीप है। इसमें भारतीयों ने हुई बातों से खिंच नहीं सकता। इन प्रवासी भारतीयों की बड़ी बड़ो जागीरें बना रक्खी हैं और वे कृषि तथा काश्त हालत जानने के लिए हमें माननीय शास्त्री की रिपोर्ट की से बहुत कुछ पैदा करते हैं, मगर जैसा कि माननीय शास्त्री ही प्रतीक्षा करनी होगी। ने देखा कि पूँजी की कमी के कारण वहाँ के भारतीय अधिक उन्नति नहीं कर पाये। को-आपरेटिव अाधार पर वहाँ कार्य हो सकता है, मगर भारतीय मज़दूरों में अशिक्षा ___ महात्मा गांधी और देवदर्शन का ज़ोर है। इसलिए उनकी अपने आपके सुधारने की मन्दिरों के भीतर जाकर देवदर्शन का अधिकार शक्ति बहुत क्षुद्र तथा सीमित है। एक मलाया ही नहीं, हिन्दू मात्र को प्राप्त हो, इसके लिए सतत उद्योग बहुत-से अन्य विदेशों में भी भारतीय अशिक्षित होने के करते रहने पर भी महात्मा गांधी को इधर मंदिरों Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com पा
SR No.035249
Book TitleSaraswati 1937 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1937
Total Pages640
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy