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________________ २२६ सरस्वती [भाग ३८ बन सकना ही अर्थशास्त्र की दृष्टि से उपनिवेशों का असली कुछ ऐसा ही है । फ्रांस को अपने उपनिवेशों में लगाये महत्त्व है । पर इनके अतिरिक्त ये इसलिए भी उपयोगी हुए धन के बदले दूसरे देशों में लगाये हुए धन की अपेक्षा हो सकते हैं कि प्रौद्योगिक राष्ट्र अपनी बढ़ती हुई जन-संख्या बहुत कम नफा मिलता है। अधिक से अधिक इटली को तथा बेकारों को वहाँ बसा सके । आर्थिक दृष्टि से भी यह उपनिवेशों से सारे व्यापार पर ५ प्रतिशत से अधिक नफ़ा प्रश्न कम महत्त्वपूर्ण नहीं है । इस समय जापान के लिए नहीं होने का, जो सारा व्यापार लगभग २०,००,००,००० यह जीवन-मरण का प्रश्न हो रहा है। लीरा वार्षिक का है। और इसके लिए इटली को क्या इस दृष्टिकोण से इटली का अबीसीनिया को प्रतिवर्ष ५०,००,००,०००* लीरा वहाँ के राज्य प्रबन्ध में विजय करने का प्रयत्न करना ठीक है ? सबसे पहले अभी व्यय करना पड़ता है। इन बातों को ध्यान में रखते हुए तक अबीसीनिया के खनिज धन का कुछ ठीक पता नहीं इटली को अबीसीनिया पर अपना आधिपत्य जमा लेने से लग सका है। सिवा खेती से पैदा होनेवाले सामान के यह लाभ के बदले हानि की अधिक आशंका है। नहीं कहा जा सकता है कि अबीसीनिया कितना कच्चा इटली की बढ़ती हुई जन-संख्या के लिए अबीसीनिया माल दे सकेगा। किसी भी इटेलियन साम्राज्यवादी के बसने का उपयुक्त स्थान हो सकेगा. इसमें भी सन्देह है। लिए उस वस्तु का बताना कठिन होगा जिसे इटली अबी- अब तक एरीट्रीया और सोमालीलेंड में मिलाकर १०,०००सीनिया की अपेक्षा दूसरी जगह थोड़े मूल्य पर न ख़रीद से अधिक इटेलियन नहीं पहुँचे हैं। लिबिया में करीब सकता हो । मुसोलिनी ने ४,००,००,००,००० लीरा लड़ाई ३०,००० इटेलियन हैं। एरीट्रीया के समान ही जलवायु के लिए रक्खा था। यदि मान भी लिया जाय कि इटली अबीसीनिया का भी है, पर जब अभी इसी में अधिक इटेने अबीसीनिया को इतना धन व्यय कर जीत लिया लियन बस सकते हैं, वे अबीसीनिया में क्योंकर बस सकेंगे। है तो क्या इटली का सैनिक खर्च इतने से ही यह भी स्पष्ट है कि इटली खुले बाज़ार में अपनी आवश्यकसमाप्त हो जायगा । एक दूसरे साम्राज्यवादी राष्ट्र फ्रांस ताओं की पूर्ति कर सकता है और उसकी अधिक जन-संख्या के अनुभव पर से देखा जाय तो यह खर्च बढता ही के लिए भी जिसे उसने जान कर बढाया है, दक्षिणजायगा। मोरक्को की विजय के बाद फ्रांस का वहाँ अमरीका तथा दूसरे देशों में अधिक उपयुक्त स्थान मिल का सैनिक खर्च १३,३०,००,००० फ्रांक से बढकर सकता है। ८८,६०,००,००० फ्रांक हो गया है। इससे यह सिद्ध होता है इसलिए आर्थिक दृष्टि से तो अबीसीनिया के जीत कि किसी उपनिवेश को जीत लेने के बाद भी उसके ऊपर लेने का कोई बड़ा महत्त्व नहीं है । हाँ, राजनैतिक दृष्टि से उतना या उससे भी अधिक व्यय उसे अधिकार में रखने मुसोलिनी भले ही अपने सभ्यता-प्रचार के नाम पर के लिए करना पड़ता है। साम्राज्यलिप्सा को ठीक समझता हो। कुछ लोगों का मत इतने व्यय के बाद इटली को उससे कितना व्यापारिक है कि इटली की अान्तरिक आर्थिक दशा पर से देशवासियों लाभ सम्भव है ? एरीट्रीया और सोमालीलेड से १९३२ में का ध्यान हटाने के लिए तथा अपनी शक्ति को डावाँडोल ५,६७,००,००० लीरा के माल का आयात हुआ था और होते देखकर मुसोलिनी ने इस काम को शुरू किया । उसी वर्ष संसार के भिन्न भिन्न देशों से सब आयात अफ्रीका में जर्मनी के उपनिवेश सब मिलाकर ८,३६,८०,००,००० का था। इस तरह यह इटली के सारे २७,०७,३०० वर्ग किलोमीटर थे अ अायात का १-२ प्रतिशत हुश्रा। लिबिया के सिवा इटली लगभग १,१४,५७,००० थी। उस समय तो जर्मनी को इन दोनों उपनिवेशों को करीब उतना ही पक्का माल भेजता सन्धि की शतों को मानकर इनसे हाथ धोना पड़ा, पर है, जितना उनसे पाता है। अब फिर उसने उपनिवेश वापस मांगना शुरू किया है। यदि देखा जाय तो उपनिवेशों से व्यापारिक लाभ तथा पूँजी लगाने से जो इटली को लाभ होगा वह शायद कुछ * १९३५-३६ के बजट में यह ४८,२०,००,००० भी न हो, क्योंकि फ्रांस का भी अनुभव इस विषय में लीरा है। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035249
Book TitleSaraswati 1937 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1937
Total Pages640
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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