________________
कलयुग नहीं
करयुग है यह !
लेखक, श्रीयुत सुदर्शन
श्री सुदर्शन जी हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ कहानीलेखक हैं। उनकी यह कहानी पञ्जाब की एक सच्ची घटना पर आश्रित है जो समाचारपत्रों के
पाठकों को अभी भूली न होगी।
था। लाला सुरजनमल से और लड़के के बाप से पुरानी मैत्री थी, वर्ना ऐसे वर कहाँ मिलते हैं ? जो सुनता था, कहता था, साहब ! आपकी बेटी के सितारे बड़े ज़बर्दस्त हैं.
जो ऐसा वर मिल गया। उसमें गुण सभी हैं, अवगुण ran ला सुरजनमल थके हुए अपने ड्राइंग- एक भी नहीं। लड़की जीवन भर राज करेगी। लाला
रूम में आये और सोफे पर बैठकर सुरजनमल को सन्तोष था कि पढ़ा-लिखाकर लड़की की सुस्ताने लगे। हक्का पीते जाते थे मिट्टी ख़राब नहीं की। मगर दुःख इस बात का था कि
और सामने दीवार के साथ टॅगी जुदाई की बेला आ गई। अाज तक अपनी थी, अाज हुई अपनी बेटी उपा की तसवीर पराई हो जायगी। अाज तक घर का सारा स्याह-सफ़ेद
देखते जाते थे। उसे देखकर उनके उसी के हाथ सौंप रखा था। वह जो चाहती थी, करती मन में अानन्द की एक लहर-सी उठती हुई मालूम हुई। थी, और जो कहती थी, होता था। किसी को उसके काम मगर इसके साथ ही यह भी मालूम हुआ, जैसे उस लहर में हस्तक्षेप करने की हिम्मत न थी। एक बार मा ने वेटी के ऊपर एक काली-सी घटा भी छा रही है। ख़ुशी यह की कोई बात टाल दी थी, इससे उसने रो-रोकर आँखे सुजा थी कि बेटी का ब्याह हो रहा है, अपने घर जायगी। ली थीं, और लाला सुरजनमत ने उसे बड़े यत्न से मनाया उन्होंने अपने कई अमीर मित्रों की पढ़ी-लिखी खूबसूरत था। और अाज-वह इस घर को सदा के लिए छोड़कर लड़कियों का ब्याह साधारण लड़कों के साथ होते देखा अपना नया घर बसाने जा रही थी। लाला सुरजनमल की था, और अफ़सोस की ठंडी श्राहे भरी थीं। उनके माता- आँखों में पिघला हुया प्यार लहराने लगा। आज उनके पिता मानते थे कि वे वर उनकी पुत्रियों के योग्य नहीं, घर से बेटी नहीं जा रही, उनके घर की शोभा और रौनक मगर कुछ कर न सकते थे। जवान लड़कियाँ घर में कब जा रही है, उनके आँगन की बहार और बरकत जा रही तक बिठा रक्खें ? मगर लाला सुरजनमल ने गहरा हाथ है, जिसको उन्होंने भगवान् से मांग माँग कर लिया है, मारा था। उन्होंने जो लड़का उपादेवी के लिए पसन्द जिसको उन्होंने स्नेह से सींचा है, जिस पर उन्होंने अपनी किया था वह लड़का न था, हीरा था। स्वस्थ, सुन्दर, पढ़ा- जान छिड़की है। लिखा, कुलीन। अभी अभी विलायत से लौटा था, और
( २ ) अाते ही बाप की बदौलत अच्छे पद पर नियुक्त हो गया सहसा उनकी स्त्री जमना श्राकर उनके सामने खड़ी
२१८
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com