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सरस्वती
[ भाग ३
पार करके १७ नवम्बर को मिन्हला के किले पर कब्ज़ा किया गया। २३ नवम्बर को बिना किसी विरोध के पगान शहर हस्तगत कर लिया गया। २५ नवम्बर को थोड़ीबहुत गोलाबारी के बाद मिनजान कब्जे में किया गया। ब्रिटिश सेना की इस गति को देखकर एक राजदूत २६ नवम्बर को शान्ति का प्रस्ताव लेकर उपस्थित हया। सेना
संचालक जनरल प्रन्डर. राजा मिन्डोमिन द्वारा बनवाया गया कुतोडा पगोडा ग्रूप (कुशलक्षेमाय मन्दिर
गास्ट ने उत्तर में कहला माला)-...मगांडले. इसमें ७५० के लगभग श्वेत प्रस्तर की शिलानों पर सम्पर्गा त्रिपिटक
भेजा कि यदि राजा लिखकर एक एक मन्दिर में प्रतिष्ठापित किया गया है ।
थीबा अपनी सेनाउन शतों के विरुद्ध अपनी घोषणा प्रकाशित कर दी, साथ ही समेत सुबह ४ बजे से पूर्व प्रात्म-समर्पण करने को तैयार अँगरेज़ लोगों का वर्मा से निकाल देने की धमकी भी दी। हो तो युद्ध बन्द कर दिया जायगा। परन्तु राजा के उत्तर
इस अवसर को उपयुक्त जानकर ब्रिटिश सरकार ने की प्रतीक्षा न करके सेना को आगे बढाना जारी रखा जो अल्टीमेटम की शतों का राजा-द्वारा अस्वीकृत होने की प्रतीक्षा गं ही बैठी थी. १४ नवम्बर सन् १८८५ को राजा का उत्तर पहुँचने के केवल पाँच दिन बाद ही इरावदी नामक गनबोट (लड़ाक जहाज़) के द्वारा सरहद को पार करके सेनानी को आगे बढ़ाना प्रारम्भ कर दिया। १६ नवम्बर को सिनबाँखे की दीवार माण्डले शैल तथा उसकी तराई में निर्मित कुतोडा माला के बौद्ध-मन्दिर ।
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