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________________ संख्या ३ ] रिहाई का प्रबन्ध किया, पर जब वे जेल से इस प्रकार निकल रहे थे, उन्होंने जेल में फ़साद होने का अलार्म बजा दिया और पहले उन्हीं सों का काम तमाम करवा दिया । अन्त में फ़ौजों ने कर तो समूचे जेल को ही बाग लगा दी। इसी बर्मा पर अँगरेज़ों का आधिपत्य तरह शहर में करीब सभी जेलों में फ़साद हुआ, जिसमें ३०० के लगभग क़ैदी मारे गये । पड्यन्त्रकारियों की लाशें तीन दिन तक जहाँ की तहाँ पड़ी रहीं। बाद में उनके नरमुण्डों का नगर में प्रदर्शन किया गया, जिससे लोगों को षड्यन्त्र रचने का साहस न हो । २१५ [कुतोडा पगोडा के केन्द्रीय विशाल मन्दिर के सोपान पर बने नक्त मीनावतार की भीमकाय प्लास्तर मूर्ति ।] भी माँग पेश की। चीफ़ कमिश्नर सर चार्ल्स बर्नार्ड ने बॉम्बे वर्मा ट्रेडिङ्ग कारपोरेशन के मामले को स्वतन्त्र न्यायालय के सिपुर्द करने की माँग पेश की, परन्तु कहा जाता है कि वर्मा-दरबार ने इसे स्वीकृत करना उचित न समझा | इसलिए भारत के वायसराय लार्ड डफरिन की आज्ञा से एक अन्तिम चेतावनी २२ ग्राक्टोवर सन् १८८५ को स्पेशल जहाज़ द्वारा माण्डले भेजी गई, जिसमें तीन सप्ताह के भीतर उसका जवाब माँगा गया। उसकी ख़ास श्राज्ञायें इस प्रकार थीं - ( १ ) गवर्नर-जनरल - द्वारा भेजा गया प्रतिनिधि माण्डले दरबार स्वीकार करे और बॉम्बे बर्मा कम्पनी के झगड़े का उसकी सहायता से फ़ैसला करे । (२) कारपोरेशन के ख़िलाफ़ सव राजकीय कार्यवाही उसके पहुँचने तक मुलतबी की जाय । (३) वायसराय की ओर से ख़ास शर्तों पर एक राजदूत माण्डले में रक्खा जाय । (४) भविष्य में बर्मा- सरकार की वैदेशिक नीति तथा अन्य वैदेशिक सम्बन्ध भारत सरकार के नियन्त्रण तथा निगरानी में हुआ करे । किनवुन मिंजी ने जो मुख्य श्रमात्यों में से एक थे, इन शर्तों को बिना ननु नच किये स्वीकार करने की सलाह दी, परन्तु टेन्डा मिंजी आदि दूसरे मन्त्रियों ने उसे स्वीकार करने से इनकार किया । परिणाम स्वरूप राजा ने www.umaragyanbhandar.com यह घटना अभी सबके दिलों में ताज़ी ही थी कि ब्रिटिश सरकार को यह समाचार प्राप्त हुआ कि माण्डले में बर्मा और फ्रेंच की सरकारों के बीच एक सन्धि हुई है। जो अन्तिम स्वीकृति के लिए पेरिस भेज दी गई है । उस सन्धि में यह मंज़ूर किया गया है कि फ्रेंच सरकार के रुपये से एक रेल मार्ग माण्डले से टौं किंग तक बनाया जाय, एक फ्रेंच बैंक कायम किया जाय जो राजा को १२% प्रतिसैकड़ा की दर से इस काम को चलाने के लिए क़र्ज़ दे । लाल की खानों का प्रबन्ध तथा चाय के व्यापार पर फ्रेंच एकाधिपत्य का होना भी सन्धि में है; साथ ही उपर्युक्त रेलवे के क़र्ज़ के ब्याज की वसूली के लिए नदी का श्रायात-निर्यात का कर तथा मिट्टी के तेल का मुनाफ़ा फ्रेंच-सरकार को दिया जाना तय हुआ है । इन्हीं दिनों ब्रिटिश सरकार ने बॉम्बे बर्मा ट्रेडिङ्ग कारपोरेशन के पुराने सवाल को फिर उठाया । उत्तर में बर्मा- सरकार ने सागौन की लकड़ी का निर्यात कर जो २३ लाख से ऊपर था, कारपोरेशन से माँगा तथा व्यापारिक संधि की कुछ शर्तों को भंग करने के लिए क्षति पूर्ति की Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
SR No.035249
Book TitleSaraswati 1937 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1937
Total Pages640
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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