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________________ - संख्या २] सम्पादकीय नोट २०७ हैदराबाद, मैसूर, ग्वालियर, इन्दौर आदि की कृषि और आपने खेद प्रकट किया और कहा कि यदि यह क्रम जारी उद्योग से सम्बन्ध रखनेवाली वस्तुएँ भी बड़े सुन्दर ढङ्ग रहने दिया गया तो २५ वर्ष बाद हिन्दू-मुसलमान बिना से प्रदर्शित की गई हैं । कृषि-सम्बन्धी उपजें और विविध दुभाषिये के आपस में बात भी न कर सकेंगे। राय राजेफलों और मेवों का प्रदर्शन भी द्रष्टव्य है। शिक्षा-विभाग श्वरबली ने अपने भाषण में सर तेजबहादुर सप्र के विचारों में ऐतिहासिक और भौगोलिक आदि प्रदर्शन की वस्तुओं का समर्थन किया और हिन्दी-उर्दू का सम्मिलित शब्द-कोश के अतिरिक्त बड़े बड़े चार्टी और चित्रों द्वारा यह भी तैयार करने का विचार उठाया। दिखाया गया है कि शिक्षा की कैसी प्रगति हुई है। गाँव- इस अधिवेशन में हिन्दी-उर्दू में साथ साथ.और अलगवाले थोड़े व्यय में रहने लायक अच्छे हवादार घर कैसे बना अलग बहुत-से निबन्ध पढ़े गये। अधिकांश निबन्ध दोनों सकते हैं, इसके अनेक नमूने भी देखने को मिलते हैं। भाषाओं को मिलाकर एक कर देने के विषय में थे। एक उनके अनुसार यदि किसानों को घर बनवाने का उत्तेजन निबन्ध इस आशय का भी पढ़ा गया कि भाषाओं के साथ दिया जाय तो उनके स्वास्थ्य और सुख में निःसन्देह सुधार लिपि भी एक कर दी जाय और जो नई लिपि हम ग्रहण हो सकता है। ' करें वह रोमन हो । इस पर अच्छा विवाद रहा । कुछ लोगों - प्रदर्शन की विविध वस्तुओं और सैकड़ों दूकानों के ने इस प्रश्न को मज़ाक कहकर टाल देना चाहा, पर प्रिंसिअतिरिक्त इस प्रदर्शनी में दर्शकों के मनोरंजन की जो पल हीरालाल खन्ना ने अपने भाषण से इसे गम्भीर बन व्यवस्था की गई है वह अभतपूर्व कही जा सकती है। बहुत- दिया और कहा कि अब समय आ गया है जब हमें लिपि से लोगों ने रेस के मैदान में कुत्तों की दौड़ और परिस्तान के प्रश्न पर भी विचार करना होगा। राय बहादुर पंडित में अनेक फ़िल्मस्टारों को साक्षात् एक साथ पहली ही बार शुकदेव बिहारी मिश्र ने भी इस प्रश्न पर एक भाषण किया देखा होगा। शिक्षा-विभाग की ओर से प्रान्त भर के और कहा कि यदि परिस्थिति का यही तकाज़ा हो तो रोकर जिला-स्कूलों के लड़कों ने जो कसरते दिखाई वे भी दर्शनीय ही सही, हमें रोमन लिपि अपना लेनी चाहिए। अन्य थीं। बालकों के ऐसे टूर्नामेंट प्रतिवर्ष हों तो उन्हें निबन्धों में उर्दू-हिन्दी का भाई-चारा बहुत पसन्द किया गया। व्यायाम का शौक पैदा हो सकता है और वे स्वस्थ रह अकेडेमी के सुयोग्य मंत्री डाक्टर ताराचन्द ने इस सकते हैं। वर्ष भी अपना भाषण हिन्दुस्तानी में ही किया, जो ऐसी सुव्यवस्थित, सुरुचिपूर्ण और उपयोगी प्रदर्शनी मनोरञ्जक होने के अतिरिक्त इस बात का एक अच्छा उदाका आयोजन करने के लिए इस प्रान्त की सरकार की हरण था कि दोनों भाषायें मिलाकर एक की जा सकती हैं। जितनी प्रशंसा की जाय, थोड़ी है। डाक्टर धीरेन्द्र वर्मा ने हिन्दुओं के नामों पर एक रोचक निबन्ध पढ़ा था, जिसमें आपने यह दिखाया कि इन हिन्दुस्तानी अकेडेमी नामों के पीछे क्या प्रवृत्ति काम करती है और अपने तकौं हिन्दुस्तानी अकेडेमी का वार्षिक अधिवेशन इस बार को नामों की लम्बी सूचियों से पुष्ट किया। लखनऊ की उपर्युक्त प्रदर्शनी के भीतर एक सुन्दर और बड़े पंडाल में राय राजेश्वरबली (भूतपूर्व शिक्षा मंत्री) के एक आशु कवि सभापतित्व में सफलता-पूर्वक हो गया। अधिवेशन का । हिन्दुस्तानी अकेडमी के जलसे के अवसर पर ही उद्घाटन राइट अानरेबुल सर तेजबहादुर सम ने किया प्रदर्शनी में एक सर्व भारतीय बृहत् कवि-सम्मेलन भी था। इस अवसर पर आपने जो भाषण किया, संक्षिप्त होते हुया था। इस सम्मेलन के प्रबन्धकों की एक लम्बी सूची हुए भी सार-गर्भित था। आपने इस बात पर जोर दिया कि प्रकाशित हुई थी, पर हमें कहीं कोई दिखाई नहीं पड़ा किसी भी देश की शिक्षा विदेशी भाषा में नहीं होनी और सारा भार श्री ज्योतिलाल भार्गव के सिर पर चाहिए। आज-कल की हिन्दी-उर्दू में संस्कृत और अरबी- आ पड़ा था। जिस परिश्रम से इस कवि-सम्मेलन को फारसी के अधिकाधिक शब्दों के प्रयोग की कुप्रवृत्ति पर उन्होंने मशायरे से भी अधिक सफल बनाया उसके लिए Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035249
Book TitleSaraswati 1937 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1937
Total Pages640
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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