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श्री निराला जी की कविता
१ )
'जनवरी की 'सरस्वती' के मुख पृष्ठ पर छपी 'निराला' जी की 'सम्राट् अष्टम एडवर्ड के प्रति' कविता का अनेकशः निरीक्षण किया । सार्थक तथा सत्यसफल कल्पनाओं, सम्राट् के महात्याग में अपने व्यक्तित्व की प्रतिफलित उदात्त अभिव्यक्ति तथा काव्य-कला के विभिन्न अवयवों का एकत्र सामञ्जस्य देखकर चकित हो गया । बहुत कम इतनी -
कविता हिन्दी में देखने में आती है । लक्ष्मीनारायण मिश्र, नागरी - प्र० - सभा, काशी
( २ )
जनवरी मास की 'सरस्वती' में प्रथम ही जो "सम्राट के प्रति" कविता छपी है उसके सम्बन्ध में निम्नाङ्कित प्रार्थना पर ध्यान देकर क्या श्राप इस लघु साहित्य-सेवक विद्यार्थी की शंका समाधान करने की कृपा करेंगे ?
(३) इसको समझने के लिए कोष की आवश्यकता है । (४) काव्य-दृष्टि से प्रासाद तथा माधुर्य का इसमें कहाँ तक स्थान है ?
सामयिक साहित्य साक्षर जनता को सहज-सुलभ-ज्ञानप्रदायक भी होना चाहिए तभी साहित्य सेवा हो सकेगी।
विषय
(१) भारतीय भाषाओं की उत्पत्ति, (२) दक्षिणी भाषा पर हिन्दी का प्रभाव, (३) द्राविड- साहित्य,
(१) इसमें कौन सा छन्द है ?
. होगा ?
(४) हिन्दी प्रान्तों में हिन्दी का स्थान, (५) राष्ट्रीय (२) इससे क्या सर्वसाधारण का ज्ञान-वर्धन शिक्षा-पद्धति, (६) हरिजनसमस्या, (७) ग्राम-पुन: संगठन, (८) समाजवाद बनाम राष्ट्र-वाद, (९) विजयनगर साम्राज्य, (१०) तामिल - साहित्य, (११) कर्नाटक - संगीत, (१२) द्राविड - सभ्यता, (१३) भारतीय विनिमय, (१४) भारतीय सिनेमा, (१५) केरल की कथकली ( नृत्य ) कला, (१६) हिन्दी के वर्तमान कवि और उनकी कविता, (१७) हिन्दी का वर्त मान नाट्य-साहित्य और उसकी उन्नति के उपाय !
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
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इस प्रकार की यह कविता इस सिद्धान्त को पूर्ण नहीं करती है ।
"साहित्यरत्न " शिवनारायण भारद्वाज "नरेन्द्र"
आगामी सम्मेलन के लिए विषय सूची
अखिल भारतीय हिन्दी - साहित्य सम्मेलन का छब्बीसवाँ अधिवेशन ईस्टर की छुट्टियों में करने का निश्चय हुआ है । पूर्व - निश्चित परिपाटी के अनुसार हिन्दी के विद्वानों तथा लेखकों से निवेदन है कि सम्मेलन में पढ़े जाने के लिए निम्नलिखित विषयों पर लेख लिखकर, मंत्री, हिन्दीसाहित्य-सम्मेलन' स्वागत-समिति, त्यागरायनगर, मदरास के पते पर ता० १५ मार्च सन् १९३७ तक भेजने की कृपा करें ।
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