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संख्या २]
जाग्रत नारियाँ
कुमारी वी० ठाकरदाम, म ये गणित में उच्च
शिक्षा प्राप्त करने कैम्बिज गई है।] देग के दो चावल ही देखे जाते हैं और इन दो चावलों से संतराम जी का देग कच्चा मावित हो गया है। फिर यदि थोड़ी देर के लिए बीकानीका लिया जाय कि श्री संतराम जी की घोर परिश्रम संगृहीत समस्त
हिर हिटलर की स्त्री-मित्र लेनी रीफेन्स्टाल । यह जमनी
की एक प्रसिद्ध अभिनेत्री भी है। चाहती है कि जो स्त्री केवल बासना पूर्ति के लिए कुंज के माथ भाग गई थी वह मार भी कैसे ग्वाती है ? क्या उसकी वासना-पूर्ति का कोई और साधन नहीं ? क्या उस कुँजड़े के पास पड़ाम में सब देवना ही बसते हैं ? मनोविज्ञान के आधार पर यह कहा जा सकता है कि जो स्त्री केवल वासना की पूर्ति के लिए एक बार नीचे उतर अाती है वह फिर नहीं टिकती। जब तक उसे ग्राराम मिलता है तब तक एक व्यक्ति के पास रहती है, नहीं तो पृथक हो जाती है । अव यदि कुँजड़ेवाली स्त्री इतने पर भी उसे छोड़कर चली नहीं जाती है, अपनी वासना पूर्ति का काई और साधन नहीं हूँढ़ती है, तो मानना पड़ेगा कि उसमें वासना का राज्य नहीं, प्रत्युत कुछ और कोमल भावनायें हैं जो उसे
[डाक्टर अन्ना चको-पायनकोर को सरकार की ओर से असहनीय अत्याचारों के बाद भी कुँजड़े के पास रहने के
इंगलैंड गई हैं ।। लिए बाध्य करती हैं और उन्हीं भावनात्रों ने उसे कुँजड़े घटनायें सवा सोलह याने मत्य हैं तो संसार में इसके प्रतिके पास पहुँचाया है, संतराम जी की वासना ने नहीं। कल घटनायें भी मिलती हैं। मैं संतराम जी की तरह
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