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________________ सख्या १] कोयटा में प्रलय उससे भी बाज़ी मार ले गया । बिहार और नेपाल में भूकम्प जेनरल पोस्ट आफ़िस, टेलिग्राफ़ आफ़िस, सिविल दिन के समय आया था इसलिए लोग मकानों और दुकानों अस्पताल और सिविल एरिया विनष्ट हो गये हैं । से बाहर निकलकर खुली जगह में जा खड़े हुए थे। लेकिन कोयटा से ८ मील के फासले पर सरयान नाम का कोयटा में यह रात को अाया, जिस वक्त लोग मीठे एक स्टेशन है। यहाँ जब भूचाल अाया तब ज़मीन फट सपने ले रहे थे। कोयटा की सरदी में लोगों के चेहरे गई और सारे मुलाज़िम तथा उनके परिवार इमारतों में लिहाफ़ों से ढंके थे जब कि यह मुसीबत उन पर टूटी। बैठे-बिठाये धरती के अन्दर धंस गये। नतीजा यह हुआ कि लोग अभी अपने शरीर से कंबल शहर कुलात में भी बहुत नुकसान हुआ है-जान भी न हटा पाये थे कि दीवारें उनके ऊपर आ गिरी। और माल दोनों का। वर्तमान नवाब के चाचा पैंतीस हजार की आबादी में से तीस हज़ार श्रादमी भूतपूर्व नवाब, के शाही महल में साढ़े तीन सौ दब कर मर गये। बाकी के बच तो गये, लेकिन से ऊपर बीबियाँ रहती थीं। यह महल अब मिट्टी किसी का हाथ कट गया तो किसी का पाँव, किसी में मिल गया है। इन बीबियों को नवाब ने देहात से का सिर ज़ख्मी हो गया तो किसी की कमर । बहुत एकत्र किया था। जो सुन्दर स्त्री नवाब को पसंद आती ही थोडे ऐसे निकल पाये जो सही-सलामत है। लेकिन उसे वे अपने महल में ले पाते। यहाँ तक कि अपने वे बचे क्या, बचे जो अपनी संतानें खो बैठे हैं, जो अपनी पतियों से अलग करके लाई जाती थीं। नवाब जब मरे धन-दौलत गँवा चुके हैं और निकट सम्बन्धियों से वंचित तब ये औरतें अपने पहले के पतियों के पास वापस भेजी गईं। हो गये हैं। परन्तु पतियों ने आपत्ति की कि अब तो ये बूढ़ी हो गई __ कोयटा और उसके इर्द-गिर्द के इलाके में जान-माल हैं, हम इन्हें नहीं लेंगे। इस पर हर एक वृद्धा के साथ उन्हें का कितना नुकसान हुआ है, इसके बारे में इस समय एक एक युवती स्त्री भी दी गई। नवाब की इन बीबियों (१४ जून) तक कुछ नहीं कहा जा सकता। विभिन्न अनु- को वे आभूषण भी दे दिये गये जो वे महल में पहना मान लगाये गये हैं। एक सूत्र के अनुसार ५६ हज़ार करती थीं। इसके अतिरिक्त उन्हें दो दो ऊँट और एक एक मनुष्य मरे हैं, दूसरे के मुताबिक़ ६० हज़ार और तीसरे घोड़ा भी दिया गया। उन नवाब को एक अन्य बात का के अनुसार एक लाख । माल के नुकसान का अंदाज़ा भी शौक था। वे घोड़ों की पूँछे काटकर उन्हें एक तो शायद हो ही नहीं सकता। जो कल लखपति थे वे पहाड़ी कन्दरा में बन्द कर दिया करते थे। उस कन्दरा में अाज पराये टुकड़ों पर अस्पतालों में पड़े हैं। अकेले रेलवे ऐसे छः सौ घोड़े कैद थे जो दस वर्ष तक अँधेरे में रहे के महकमे का नुकसान एक लाख का बतलाया जाता है। थे। उनके उत्तराधिकारी वर्तमान नवाब अपनी पत्नी और महकमा नहर और पलिस के स्टार नष्ट हो गये हैं । रायल बच्चे-सहित बच गये हैं, परन्तु उनकी राजधानी की एयर फ़ोर्स के ४३ उड़ाके मर गये हैं। शहर से चार अत्यधिक हानि हुई है। मील की दूरी पर मुस्तङ्ग-नाम का कस्बा श्राबाद था। एक मित्र ने जो भूचाल के समय कोयटा में थे, उसकी आबादी के तीन-चौथाई भाग का खातमा हो अपनी आँखों-देखी कई बातें बतलाई। ये बहुत ही गया है । श्रास-पास के एक सौ पचास देहात, उदाहरणार्थ करुणाजनक हैं। इन्होंने कहा --"भूकम्प का झटका तो डाँगरा, हराँगाबाद आदि, अब उजड़े हुए मालूम देते ज़्यादा से ज्यादा पाँच क्षण तक रहा होगा, किन्तु इन हैं। स्वयं कोयटा का बाबू-महल्ला, मोती-महल्ला, पाँच क्षणों में समस्त कोयटा नष्ट हो गया । वह नगर मुलतानी महल्ला, पूरन महल्ला, पुरानी श्राबादी, बस- जिसकी ऊँची इमारतें मानव-श्रम की सुन्दर कृतियाँ थीं, रोड, संडेमन-रोड, ग्लास्टर-रोड, फेनी-रोड, गिरजा, देखते-देखते ईटों और मलवे का ढेर हो गया। वे क्लबघर, टाऊन-हाल, संडेमन-हाल, सिविल कोर्टस, महिलायें जो मखमली बिछौनों पर आराम कर रही थीं Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035248
Book TitleSaraswati 1935 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1935
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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