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________________ संख्या १] लड़के को इतनी आसानी से छुटकारा पाने की कभी आशा न थी । वह दूसरी ट्रेन से चला गया । X X X कितने ही महीनों के बाद घरवाले मनाकर पुजारी को ले गये । सचमुच ही घर उन्हें काल-सा लगता था । धीरे धीरे फिर चिन्ता ने उनकी देह और दिमाग़ पर प्रभाव जमाया। इसी दुःखमय चिन्ताग्रस्त अवस्था में उन्होंने चार वर्ष और बिताये । १६२० ईसवी का जून आई सन्ध्या शशि की प्यारी ! प्यारे प्रियतम के चिन्तन में की लजाती नत चितवन, मिलन- निशा की सुख-आशा में दिशि दिशि कभी डोलते लोचन, कोमल चरणों के दर्शन से कमल जाये - से कुम्हलाये, - हंस के विहार-शर ने ज्यों गति लख अपने नयन नवाये X - पुजारी विभ्रममयि सन्ध्या सुकुमारी ! अपने नीलम के महलों से आई अब पश्चिम- दिशि-पथ पर, कोमल - अरुण चरण-नख छू छू अरुण रेणु रँगती है अम्बर, नभ में खिलती केसर - क्यारी ! स्वागत - गीत लेखक, श्रीयुत नरेन्द्र उन चरणों पर सुखमा वारी ! उत्सुक धरणी पर धीरे से धरती पग सन्ध्या कोमल तन, दरस परस पा मुसका रज-कन खिल उठते ज्यों गेंदा के बनकनक-सुरभि-घन ज्यों नभचारी ! Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat या जुलाई का महीना था, जब सुदूर दक्षिण में पुत्र को उनके बालमित्र का पत्र मिला— मामा का देहान्त हो गया । पुत्र की आँखों में आँसू नहीं आये | चिट्ठी की बात पूछने पर उसने जिस प्रकार अपने मित्रों को यह ख़बर सुनाई उससे वे बोल उठे, तुम्हारा दिल पत्थर का है, पिता की मृत्यु को सुनकर भी तुम्हें रंज नहीं हुआ ! उन्हें पुत्र के हृदय के भीतर की वास्तविक दशा यदि मालूम होती तो वे ऐसा न कहते । ६१ चिर सुहागिनी के पद-नख छ बनती अवनी भी सुहागिनी, व्योम - माँग में सेंदुर भरती हँसती सरसों-सी सुहागिनी, - नव वसन्त की प्राणपियारी ! नीलम की नभ - सरसी में भी जागी कुन्द कुमुद की कलियाँ,उठीं मिलन की सरस रास को चाँदी की नन्हीं सी परियाँ, जागी शशि की निशि-प्रतिहारी ! सन्ध्या के नत मुख पर लज्जा होली - मिस बरसाती रोली, केशर - रंजित चचल अञ्चल केशाच्छादित सुवरन-चोली, सोने में मुकुलित उजियारी ! पुलकित तन के ङ्ग-राग को कुसुमों का पराग हर आई, मद प्रकरन्द मंदिर नयनों में अपने मधुकर को भर लाई, आई सन्ध्या शशि की प्यारी ! www.umaragyanbhandar.com
SR No.035248
Book TitleSaraswati 1935 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1935
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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