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________________ सम्पादकाय नोट ARCana योरप और अगला महायुद्ध है। यदि उसकी यह कार्रवाई कारगर सिद्ध हुई तो मारप के राष्ट्र निःशस्त्रीकरण के मानना पड़ेगा कि योरप शान्ति का इच्छुक है, नहीं तो A NSI सिद्धान्त का पालन जब नहीं उसका युद्ध का मार्ग खुला है-चाहे अाज हो, चाहे कर सके तब जर्मनी ने हर कल हो । हिटलर के नेतृत्व में वसलीज़ के सन्धि पत्र को मानने से इटली और वीसीनिया SHE इनकार कर दिया और स्वदेश जैसा कि समझा जाता था अबीसीनिया इटली का 2 की सुरक्षा की दृष्टि से अपना सामना नहीं कर सका। इटली की सेनाओं के आगे सैन्यबल बढ़ाने की घोषणा कर दी। फलतः जर्मनी ने अपनी उसकी सेनाये बराबर पीछे हटती जा रही हैं और इटली सेनायें बढ़ा ली हैं और सामरिक दृष्टि से वह दिन दिन उसके विजित प्रदेश पर अपना अधिकार कायम करता अधिकाधिक सबल होता जाता है। जर्मन के इस मनो- हुआ बराबर आगे बढ़ता जा रहा है। इटली ने यद्यपि भाव का अन्य राष्ट्रों पर काफ़ी प्रभाव पड़ा, यहाँ तक कि अबीसीनिया पर दो तरफ़ से आक्रमण किया है, तथापि जो ब्रिटेन निःशस्त्रीकरण के अान्दोलन का पुरस्कर्ता होने उसका ज़ोर अभी इरीट्रिया की ओर ही है। इटालियन के कारण अपना सैनिक बल बढ़ाने के काम से अभी तक सोमालीलेंड की ओर से उमकी जो सेनायें अबीसीनिया के बराबर विरत रहा उसने भी इस बात को लेकर अपनी प्रोगेडन प्रदेश में घुसी हुई हैं वे अभी धीरे धीरे ही आगे पार्लियामेंट का नया चुनाव किया। इससे प्रकट होता बढ़ रही हैं। परन्तु इरोट्रिया की अोर से उसकी जो है कि अब ब्रिटेन भी आत्मरक्षा के नाम से युद्धसज्जा सेनायें अबीसीनिया में घुसी हैं वे बहुत आगे बढ़ गई हैं करेगा। और इसका एक मतलब यह है कि योरप के और उन्होंने अबीसीनिया का एक भाग भी अपने अधिसभी राष्ट्र अपना सैनिक बल बढ़ा चुके हैं और जो अभी कार में कर लिया है। इटली की इस विजय का श्रेय तक इस बात से उदासीन थे वे भी अब उसे बढ़ाने लगे उसके वायुयानों को है। वायुयानों की बमवर्षा के भय हैं। अभी उस दिन आस्ट्रिया की सरकार के अधिकारी से अबीसीनिया की सेना इटली की सेना से डटकर लड़ ने भी आस्ट्रिया का सैन्यबल बढ़ाने की घोषणा कर दी नहीं रही है, और यदि यही क्रम जारी रहा तो आश्चर्य है। इस प्रकार योरप के राष्ट्र शान्ति के मार्ग की अोर नहीं कि इटली का अबीसीनिया की राजधानी अदिस नहीं, युद्ध के मार्ग की ओर बढ़ रहे हैं । राष्ट्र संघ ब्रिटेन और अबाबा पर भी एक दिन झंडा फहराने लगेगा । आधुनिक फ्रांस के प्रभाव में रहकर काम करता है, इससे राष्ट्रों ने ढंग के शस्त्रास्त्रों से सज्जित तथा शिक्षित सेना के लिए अपने अपने अलग गुट बना लिये हैं। इन गुटों का अबीसीनिया जैसे अर्द्धसभ्य राष्ट्र को आसानी से पददलित प्रभाव भी बढ़ गया है । यदि ऐसा न होता, राष्ट्र-संघ कर डालना कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी और वही सबके सहयोग से काफ़ी बलवान् होता, तो आज इटली अबीसीनिया की रणभूमि में इस समय हो रहा है । को अबोसीनिया पर इस प्रकार अन्यायपूर्वक आक्रमण इटली की अबीसीनिया के विजय करने की महत्त्वाकर बैठने का साहस न होता। ब्रिटेन की प्रेरणा से राष्ट्र- कांक्षा के मार्ग में विघ्न डालने का जो प्रयत्न ब्रिटेन की ओर संघ ने इटली के आर्थिक बायकाट की घोषणा कर दी से हुआ था वह राष्ट्र-संघ की कानूनी दाँव-पेंच की नीति ५६५ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035248
Book TitleSaraswati 1935 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1935
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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