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एक मनोरञ्जक कहानी
बहुरूपिया साधु
लेखक, श्रीयुत धर्मवीर, एम० ए० भ-यूँ ! ५-५--!"
आदमी न नजर आया। बाई ओर से ज़ोर-ज़ोर से १ इंजन को यह आवाज़ कान में चिल्लाने की आवाज़ आई। उधर भागा। देखा तो कई बार पड़ी। काग़ज़ों को वहीं मेज़ पर पटककर जमघट । अँगले के नजदीक पहुँचा तब जहाज के मैं ऊपर डेक पर आया। इधर-उधर देखा। कोई ऊपर के हिस्से से लाइफ़-बोट उतरती देखी। नीचे