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संख्या ६]
उदयपुर में विजयादशमी
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उसके सिर पर जवाहिरों का मुकुट बाँधा गया। एक लाल कपड़ा दिया गया । पुरोहित जी मंगलाचरण और वैदिक मंत्र पढ़ते जाते थे। साईसों को दो दो नारियल और एक चाँदोड़ी रुपया और चार चार पापड़ियाँ दी जाती थीं। वे नम्बर से अभिवादन कर घोड़े को वापस लौटा ले जाते थे। इस प्रकार कई घोड़ों का पूजन हुआ। तत्पश्चात् महाराना साहब सर
[महाराना साहब अपने सरदारों।।के साथ शेर के शिकार में भूपालसिंह जी बहादुर तामजाम में दरीखाने में लाये गये। दरीखाने के नुक्कड़ उनके सामने लाया जाता था। महावत अभिवादन करता। पर द्वार के पास घुसते ही उनके लिए कुर्सी लगाई गई था। हाथी को एक लाल कपड़ा दिया जाता था और थी। एक एक सुन्दर सजा हुअा हाथी झूमता हुआ उसके मौर जो तोरण की किस्म का खजूर का बना हुआ
था, बाँधा जाता था। इस प्रकार कई हाथियों का पूजन हुआ। उधर पास के द्वार से ज़नानी | ड्योढ़ी पर महारानी | साहबा ने भी पूजन के समय घोड़ी और हथिनी की पूजा इसी प्रकार की। सारे दरबारी खड़े थे। परन्तु १६ उमराठे हुए थे। इन उमरा और सरदारों में पहले नम्बर
और दूसरे नम्बर के
सरदार होते हैं। और ['सत्कारालय' से पिचोलिया झील का दृश्य
अपने अपने पद तथा
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