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सरस्वती
[भाग ३६
- आर्य-संस्कृति और द्रविड़-संस्कृति के पारस्परिक और अफ़ग़ानिस्तान में बड़े बड़े इस्लामी राज्य खड़े हो सम्बन्ध के विषय में कई मत हैं। उदाहरणार्थ गये । इस्लाम नदी की तरह उमड़ता हुआ भारत की 'ऋग्वेदिक इंडिया' के प्रसिद्ध लेखक श्री अविनाश- तरफ बढ़ रहा था। पंजाब के राजा जयपाल ने इस चन्द्र दास का मत अन्य इतिहासज्ञों से सर्वथा भिन्न बढ़ती हुई शक्ति को उसके घर में ही दबा देने के लिए है। उन्होंने यह सिद्ध करने का प्रयत्न किया है कि अफगानिस्तान पर आक्रमण किया। उसके बेटे अनपुराने बेबिलोनियावामी, मिस्रवासी और उनके ङ्गपाल ने महमूद ग़ज़नवी को रोकने के लिए पेशावर समान द्रविड़ भी आर्य नम्ल की एक शाखा थी, जो पर चढ़ाई की और महमूद की फ़ौज के साथ बड़ा कई युग पहले आर्य नस्ल से अलग होकर दूर देश जबर्दस्त मुकाबिला किया। ऐसा मालूम होता था में जाकर आबाद हुई । यह अन्वेपण-फल सही हो या कि महमूद और उसकी सेना नष्ट होने को है कि न हो, यह एक तथ्य है कि इतिहास-काल से बहुत पूर्व अनङ्गपाल के हाथी ने राजा को धोखा दिया और उत्तर-भारत के आर्य और दक्षिण-भारत के द्रविड़ लड़ाई की किस्मत बिलकुल पलट गई । इसके बाद दो एक दूसरे के साथ मिल-जुल गये और उन्होंने अपनी बड़े प्रबल आक्रमणों का पंजाब ने मुक़ाबिला किया। संस्कृति को सम्मिलित बना लिया। इसलिए पिछले जब पंजाब विजित हो गया तब भारत का फाटक युगों में दोनों नस्लें हिन्दू कहलाने लगी और अगर खुल गया और उसके बाद शेष भारत में, दो-चार इनमें कोई पृथकत्व था तो वह धीरे-धीरे मिट गया। को छोड़ कर, विदेशी आक्रमणों के मुक़ाबिले का
पं० जवाहरलाल कहते हैं-"विचारणीय बात मामर्थ्य ही न रहा। कई शताब्दियों के शासन के तो यह है कि इस समय इसी पंजाब में हिन्दू-महासभा बाद पंजाब में वही शक्ति उत्पन्न हुई जिसने इस की शक्ति ज्यादा है और दक्षिण में तो उसकी पहुँच इस्लामी नदी को न सिर्फ रोका, बल्कि इसका बहाव बहुत कम है।"
उलटा कर दिया-पंजाब की फौजों ने पठानों को जम__पंडित जी के इस सवाल का जवाब ऐतिहासिक रोद तक जा भगाया और अफ़ग़ानिस्तान के बादघटनाओं से मिलता है। भारतवर्ष पर विदेशी शाह का मुकाविला किया । इसे भारत के इतिहास
आक्रमण का रास्ता उत्तर-पश्चिम से ही रहा है। में एक बड़ा भारी चमत्कार कहा जा सकता है। इसलिए इन बाह्य आक्रमणों का मुक़ाबिला करने के पंजाब में यदि हिन्दुत्व का ज्यादा जोर है तो इसका लिए पंजाब एक प्रकार से भारत के फाटक का काम कारण पंजाब की भौगोलिक स्थिति और इसके करता रहा है । सिकंदर ने पंजाब को जीता। परन्तु पिछले युग की ऐतिहासिक घटनायें हैं। चंद्रगुप्त ने थोड़े ही दिन बाद सिकंदर के शासन पं. जवाहरलाल एक और जगह कहते है कि को पंजाब के लोगों की सहायता से हटा दिया कांग्रेस के ध्येय के बारे में मैं अपनी राय को सिद्ध
और सिकंदर का एक बड़ा भारी प्रांत. जो कंधार कम । अर्थात यह कि “हिन्दू-महासभा पहले प्रकार तक फैला हुआ था, सेल्यूकस की लड़की के विवाह के स्वराज्य, अपनी जातीयता और धर्म के रखने, के के कारण उसके अधीन हो गया। चंद्रगुप्त लिए यत्न कर रही है, और दूसरे प्रकार के स्वराज्य, के राज्य-काल में चाणक्य एक बड़ा भारी देशभक्त अपनी जातीयता मिटाने और पराये की ओढ़ने, की राजनीतिज्ञ था, जिसने पंजाब में से विदेशी कांग्रेस कोशिश करती है।" शासन निकालने की तदबीर की। इसके बाद अपनी बात को स्पष्ट करते हुए पंडित जी ने सदियाँ गुज़र गई। अब हम उस काल में पहुँ- कहा है कि कांग्रेस ब्रिटिश गवर्नमेंट से लड़ाई करती चते हैं जब भारत की सीमाओं से परे ईरान, तातार है और व्यंग्य से यह भी कि हिन्दू-महासभा नौक
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