SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 450
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ हदीस लेखक, श्रीयुत महेशप्रसाद मौलवी आलिम फ़ाज़िल्न कोई ऐसी बात जिसका कभी कभी, हज़रत मुहम्मद से सीधा सम्बन्ध रहा हो इस्लाम में हदीस के नाम से पुकारी जायगी । हदीसों की गिनती नहीं है फिर भी उनके कई संग्रह मिलते हैं । इस लेख में विद्वान् लेखक ने हदीसों के बारे में बहुत-सी ज्ञातव्य बातें बतलाई हैं। थी। इस घटना के पश्चात् वे लगभग ३३ वर्ष तक कला स्लाम में क़रान के पश्चात जीवित रहे थे। इस काल में नाना प्रकार की बातों धार्मिक दृष्टि से हदीस को का सम्बन्ध उनके जीवन के साथ था, इस कारण उच्च पद प्राप्त है। हदीस इस इतने बड़े काल की 'बातें' (हदीमें) मंख्या में अरवी का शब्द है और बहुत ज्यादा हैं। इसका माधारण अर्थ है। 'बात' अथवा 'नई बात'। समस्त हदीमों का सम्पादन तथा संग्रह बहुत ZEE परन्तु इसकी विशेष परि- लोगों ने किया है, जिनमें से प्रसिद्ध लोग ये हैंभाषा यह है—'वह बात जो हजरत मुहम्मद ने की हो, (१) काजी अबूबकर बिन खरम मदीना नगर कही हो अथवा वह कथन या कार्य जिसको हज़रत ने में गवर्नर थे। इन्होंने ही पहले-पहल बहुत-सी सुना या देखा हो और उसको अनुचित न बतलाया हदीसों को एकत्र किया था, किन्तु इनकी कीर्ति हो या यह कि उसको अच्छा ही समझा हो।' इस विषय में इतनी अधिक नहीं है जितनी बाद वह बात जिसको हज़रत ने स्वयं कार्यरूप में के लोगों की है। इसका मूल-कारण शायद यह हो किया है। हदीस फेली' कहलाती है। जो बात उन्होंने कि जैसी छान-बीन बाद के लोगों ने हदीसों के कही है उसे 'हदीस क़ौली' कहते हैं और 'हदीस विषय में की थी, वैसी छान-बीन इन्होंने नहीं की तक़रीरी' अर्थात् 'निर्धारित बात' ऐसे कथन या कार्य थी। इनका देहान्त मन १०० हिजरी (मन ७१८ को कहते हैं जिसको हज़रत ने केवल सुना या देखा ई०) में हुआ था। था, किन्तु जिसको अनुचित नहीं ठहराया था। (२) इमाम मालिक-द्वारा जमा की हुई हदीमें ___ अरबी में हदीस के पर्यायरूप में 'खबर', 'असर' एक हजार सत्ताईम हैं। इनके ग्रन्थ का नाम और 'सुन्नत' शब्दों का प्रयोग हुआ है, किन्तु कुछ 'मोअत्ता' (सुसज्जित किया हुआ) है। ये सन ९३ विद्वानों के मतानुसार इन समस्त शब्दों के अर्थ में हिजरी (सन ७११ ई.) में मदीना नगर में पैदा हुए थोड़ा थोड़ा मतभेद है । हदीस-शब्द का बहुवचन- थे और ८५ वर्ष की आयु पाकर सन १७९ हिजरी अहादीस है। मुसलमान लोग मानते हैं कि जिस (सन ७९५ ई.) में स्वर्ग-लोक सिधारे थे। समय हज़रत मुहम्मद रसूल अर्थात् ईश्वरीय दूत * इन्होंने कितनी हदीसे एकत्र की थीं, इसका पता बनाये गये थे उस समय उनकी आयु ४० वर्ष की ठीक ठीक नहीं लग सका । ४१० Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035248
Book TitleSaraswati 1935 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1935
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy