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________________ संख्या ४] ऋणग्रस्त रियासत-सम्बन्धी कानून ३४१ पहले मिल जायगा और उसका कर्ज अदा समझा किस्त में बचत नहीं । ८० हजार रुपये से उसे हाथ धोना जायगा। पड़ेगा। लछमन डेढ़ लाख के क़र्ज़ में से एक पैसा भी (ब) श्याम को १० हज़ार का बाँड मिलेगा, ५० हज़ार न पायेगा। महाजन को यह अधिकार है कि अगर वह जो उसके और बाकी रह जाते हैं वे २ लाख की बाँड से जमीन का लेना बेहतर समझता है तो बाँड के अरक्षित जायदाद से अदा किये जायँगे। बजाय उसे जमीन दे दी जायगी। यानी २... अर्थात् जायदाद का चौथा क़िस्तों की वसूलयाबी कैसे होगी ? हिस्सा श्याम के नाम मुन्तक्किल कर दिया जायगा । (स) मोहन को ७० हज़ार रुपया देना है। इसलिए उसे कलक्टर जिस समय क़र्ज़ की अदायगी की योजना ७०,००० २,००.०००-३ हिस्सा अरक्षित जायदाद का मिल और तजवीज निश्चित कर लेगा तब जिस जिस जिले में कर्जदार की जायदाद है उस उस जिले के कलक्टर के जायगा। अब केवल ८० हज़ार की जायदाद बच पास सुचना भेज देगा कि उसे कर्जदार रईस की मालरही । सेाहन को १० हज़ार देना है इसलिए यह सब राजारी और अववाब के साथ क़र्ज़ के मद में और कितना ८० हज़ार की जायदाद सोहन को मिल जायगी रुपया वसूल करना है। परगना-हाकिम इस रकम की अर्थात् २ हिस्सा। १० हज़ार रुपये से सोहन को वसूलयाबी के लिए जिम्मेदार होगा। हाथ धोना पड़ेगा। अगर कर्जदार रईस मुतवातिर दो किस्ते न अदा कर (द) लछमन डेढ़ लाख रुपये के कर्ज में एक पैसा भी सकेगा तो दूसरी किस्त के वाजिबुल अदा होने के छः महीने न पायेगा। के अन्दर ही कलक्टर को इस बात की रिपोर्ट गवर्नमेंट से कर देना चाहिए। गवर्नमेंट उस हालत में निम्नजब सूरत २ (ग) की है। लिखित बातें तय कर सकती हैइस हालत में रक्षित जायदाद बेची न जायगी। २० या तो वह पूरी रकम जो वाजिबुल वादा है मालबरस तक रक्षित जायदाद से कर्जदार रईस किस्तें गवर्न- गुज़ारी की बाकी की तरह वसल कर लेगी या क़ज़ेदार करेगा। इस हालत में भी जिस महाजन की जायदाद को कोर्ट श्राफ वार्डस में ले जायगी, या का नम्बर अव्वल होगा उसका तो सारा क़र्ज़ अदा हो बकाया की वसलयाबी के लिए कोई तीसरा ढंग निकाजायगा, लेकिन अन्तिम नम्बर के महाजन को अगर लेगी। रिपोर्ट करते समय कलक्टर कर्जदार की जायदाद कुछ न बचा तो कुछ न मिलेगा। उदाहरण के तौर पर की पूरी सूची गवर्नमेंट को भेज देगा। मान लीजिए कि क़र्ज़ ३ लाख ७० हजार रुपये का है अगर किसी फ़सल में दुष्काल के कारण फ़सल मारी और रक्षित जायदाद से केवल एक लाख ६० हज़ार जाय तो उस ज़िले का कलक्टर किस्त में कमी कर सकता रुपया सालाना किस्त से अदा हो सकता है। कर्जदारों है। अगर फ़सल का नुक्सान ६ आने से ८ आने तक की संख्या और उनका ऋण पूर्ववत् है। है तो किस्त में ४ आने की कमी की जायगी। अगर राम का २० हज़ार रुपये का बाँड मिल जायगा। ८ आने से १० आने तक फ़सल मारी गई है तो श्याम को ६० , , " " किस्त श्राधी कर दी जायगी। अगर १० आने से मोहन को ७० , , , , १२ आने तक फ़सल मारी गई है तो किस्त में १२ आने सोहन को केवल १० हजार रुपये का बाँड६० हजार की कमी आ जायगी और १२ आने से ज्यादा फसल के कर्ज की अदायगी में मिलेगा। इससे ज्यादा मारी गई है तो किस्त मुलतबी कर दी जायगी। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035248
Book TitleSaraswati 1935 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1935
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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