________________
संख्या ४]
तोक्यो शहर
और प्रतिदिन छः-सात सौ को दवा दी जाती है । कान, नाक, दाँत, ज्वर, फोड़ा आदि सभी की चिकित्सा का सुन्दर प्रबन्ध है। | इसके पास में ही सखे बस्ती है। पिछले भूकम्प के पहले इस मुहल्ले में छोटी छोटी फूस की एक एक कोठरी में घर भर रहा करता था। वे झोपड़ियाँ भी भूकम्प में जल गई।
[तोक्यो-कबुकी-थियेटर] जब तोक्यो का नवनिर्माण होने लगा तब इधर भी सरकार का ध्यान गया। बच्चों के लिए एक अलग ही विभाग है, जिसमें कितनी सरकार ने आर्थिक सहायता दी, और निशी होङ्वान् जी ही दाइयाँ तथा खेलने आदि के सामान हैं। काम पर सम्प्रदाय ने इस काम को अपने हाथ में लिया। उन्होंने जाते वक्त बस्ती की मातायें अपने बच्चों को यहाँ दे जाती कंकरीट के चौमहले मजबूत और साफ़ मकान बनवाये, और हैं। उनकी देखभाल के लिए ट्रेनिंग पास दो नसें हैं, जो उन्हें सस्ते किराये पर लोगों को दे दिया, यही नहीं बस्ती किंडर-गार्टन तथा दूसरे खेलों से लड़कों का दिल बहके लोगों की भलाई के लिए उन्होंने और भी कई तरह के लाव करती तथा शिक्षा देती हैं। यहाँ भी प्रति दिन दो सहायता के काम हाथ में लिये। इस बस्ती में २,५०० पैसा (४ सेन्) फ़ीस ली जाती है, किन्तु वह ग़रीब
आदमी रहते हैं, जिनमें पाँच सौ लड़के हैं। शिक्षा के माता-पिता को चुपके से लौटा दी जाती है। लिए आठवीं श्रेणी तक का स्कूल है। फिर बड़े लड़के- बस्ती का आर्थिक विभाग वेकारी के समय काग़ज़ के लड़कियों के लिए काम से छुट्टी होने के बाद विशेष बक्स, अल्बम, सिलाई तथा दूसरे काम देता है। सस्ते शिक्षा का प्रबन्ध है, जिसके लिए १ येन प्रतिमास फ़ीस चावल तथा सस्ती चीज़ों की दुकानें चलाता है। काम ली जाती है । जो ग़रीब हैं उनके लड़कों को भी फ़ीस की जगहों और बेकारों को एक-दूसरे से परिचित कराने का ला कर देनी पड़ती है, किन्तु पीछे वह चुपके से उनके काम करता है। स्वास्थ्य-विभाग शारीरिक व्यायाम तथा माता-पिता को लौटा दी जाती है। कारण पूछने पर खेल का प्रबन्ध करता है। चिकित्सा विभाग साधारण बतलाया गया कि और लड़कों के सामने अात्म-सम्मान दवा-दारू करता है। विशेष बीमारी होने पर अशोककायम रखने के लिए ऐसा करना उचित समझा गया अस्पताल या दूसरे अस्पताल में भर्ती करने का प्रबन्ध है। ऐसा न करने से ग़रीब का लड़का समझ कर क्लास के करता है। सांस्कृतिक और सामाजिक मेल-जोल बढ़ाने दूसरे लड़के उसे नीची दृष्टि से देखने लगेंगे। मास में के लिए एक अलग ही विभाग है। बालक मिठाई के पैसे तीन बार शिक्षा-सम्बन्धी सिनेमा दिखाया जाता है। जब-तब बचाकर बस्ती के सेविबैंक में जमा करते जाते बाल-पुस्तकालय में तीन हज़ार से ऊपर पुस्तकें हैं। छोटे हैं, फिर साल में उन्हें पहाड़ या समुद्र-तट की सैर कराई