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________________ AAAAAAAAAAAAAAA स्वदेशी में अड़चन लेखक, पण्डित मोहनलाल नेहरू पंडित मोहनलाल जी ने व्यक्तिगत अनुभव से स्वदेशी प्रचार के मार्ग में क्या क्या बाधायें हैं यह बताते हुए इस लेख में सिद्ध किया है कि इधर कांग्रेस-कमेटियों और चर्खा-संघों का कार्य करने का जो ढङ्ग रहा है वह स्वदेशी प्रचार के मार्ग में बाधा ही समझा जायगा। आपका कहना है कि यदि इसी दृष्टिकोण से कार्य जारी रहा तो म्वदेशी का प्रचार आगे नहीं बढ़ सकेगा। क्टूबर के आखिर में दिवाली अर्थात ग्रामोत्थान का काम हाथ में लिया के सप्ताह में इलाहाबाद की स्वदेशी लीग का पाँचवाँ ___परन्तु कोई 'उत्थान' खाली भारी स्वदेशी मेला होगा। इस भारी वेतन ही पानेवाले अधिकारियों की अवसर पर शायद यह अनुचित न होगा नियुक्ति से नहीं हो सकता । जितना यदि मैं एक दफ़ा फिर स्वदेशी के रास्ते रुपया गवर्नमेंट ग्रामसुधार के वास्ते मंजूर में आनेवाली बाधाओं का यहाँ उल्लेख करूँ । इस करेगी वह वेतनों और भत्तों में चला जायगा, असल उल्लेख के करने में सम्भव है मुझे कुछ संस्थाओं पर काम के वास्ते शायद नाममात्र को ही कुछ बचे। कटाक्ष करना पड़े, किन्तु मैं यकीन दिलाता हूँ कि वे यह उत्थान का काम खाली दिखाने का ही रह इसी नियत से किये जायेंगे कि उनके संचालक उन जायगा। सरकारी तौर पर जो भी सीखा जाता है कटातों पर ध्यान दें और यह न समझ बैठे कि वे उसमें खर्च बहुत होता है और इस तरह के सीखे किसी बुरी नीयत से किये गये हैं। आदमी बाजार में मुक़ाबिले पर खड़े नहीं हो सकते।' दुनिया भर की गवर्नमेंटें अपने अपने देश में इस वास्ते मेरी यह राय है कि यह काम खुद स्वदेशी स्वदेशी की उन्नति करने में तत्पर हैं। इसके वास्ते वे के रास्ते में ही बाधा डालेगा। बहुतेरों को असफल बाहरी माल पर टैक्स लगाती हैं या किसी दूसरी देखकर आगे लड़कों को सीखने से उनके बड़े लोग तरह जारी रोक-थाम करती हैं। यहाँ तक कि अँगरेज़ी रोक देंगे। हाँ, अगर यही काम गांधी जी के गवर्नमेंट के उपनिवेश आपस में भी एक-दूसरे के विलेज इंडस्ट्रीज एसोसियेशन' से मिल कर सरकार माल की रोक-थाम कर सकते और करते भी हैं। करती तो शायद अधिक फायदा होता । कम खर्च बिना इस रोक-थाम के आज-कल अपने खास के साथ काम सीखने से सीखनेवालों का लाभ भी व्यवसायों का बचाना मुश्किल है या दूसरे शब्दों में होता। बिना सरकारी सहायता के स्वदेशी की उन्नति हो सरकारी सहायता न होने से गांधी जी का नहीं सकती। यह हमारी गवर्नमेंट तक जानती है एसोसियेशन भी अधिक काम नहीं कर सकता। और शायद इसी वास्ते उसने भी 'विलेज अपलिफ्ट' पहले तो शायद उसे बाधाओं से ही सामना करना ३१४ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035248
Book TitleSaraswati 1935 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1935
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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