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________________ संख्या ४] मल्लियों से सिकंदर का मुकाबिला ३११ सबने अपने सम्राट को पराजित राष्ट्र के संरक्षण में कहना न होगा कि ये सब जलयान आर्या-द्वारा ही छोड़कर स्वदेश लौट जाने का सङ्कल्प कर लिया है निर्मित हुए थे। तो लौट जाओ। मैंने भी निश्चय कर लिया है कि पाँच दिन की यात्रा के अनन्तर सिकन्दर झेलम उपनिवेशों में बसे हुए यूनानियों की सेना संगठित और रावी के सङ्गम में पहुँचा। वहाँ दो नदियों की कर आगे बढुंगा। सम्मिलित धारा के प्रचण्ड प्रवाह से उसके जल___ इतना कहकर सिकन्दर अपने खीमे में चला यानों की बड़ी दुर्दशा हुई। जब तक नावों की गया और यह देखने के लिए कि उसकी बातों का मरम्मत होती रही, वह शैव लोगों को परास्त करने सैनिकों पर क्या असर पड़ता है, वह तीन दिन तक में लगा रहा। वहाँ से लौटने पर उसे उसके तीनों न किसी सेनापति से मिला, न खीमे से ही बाहर सेनानायक निर्दिष्ट स्थान में ससैन्य मिले । फिर निकला। अन्त में सैनिकों को अपने विचार पर दृढ़ उसने चुने हुए वीरों की सेना लेकर मल्लियों के देखकर तथा नदी-पार करने की कठिनाइयों से राज्य पर चढ़ाई की। विवश होकर उसने सेनापतियों से स्वदेश लौटने का यद्यपि मल्लियों के नाम के स्मारकस्वरूप एकविचार प्रकट किया। इस संवाद को सुनकर सैनिकों मात्र मुलतान नगर के अतिरिक्त और कोई चिह्न ने बड़ा आनन्द मनाया । सिकन्दर की आज्ञा अब दृष्टिगोचर नहीं होता है, तो भी इतिहास से से पड़ाव के समीप बारह खम्भों का एक मन्दिर प्रकट होता है कि मल्लि लोग सभ्य, शिक्षित और वीर बनाया गया और वहीं बड़ी धूमधाम से भगवान् थे। डायडोरस और कारटियस ने लिखा है कि उन्होंने की पूजा-अर्चा की गई। फिर रावी नदी के तटस्थ यूनानियों को रोकने तथा नीचा दिखाने के लिए हिपेस्थियन के निरीक्षण में निर्मित नूतन नगर का शूद्रों की सहायता लेकर बात की बात में अस्सी हजार उद्घा रके सिकन्दर ससैन्य महाराज पुरु के प्यादे, दस हजार घडसवार और सात सौ रथ एकत्र राज्य में लौट आया। कर लिये थे। इसमें सन्देह नहीं कि मल्लियों और यहाँ आकर सिकन्दर ने उत्तरी पंजाब के राज्यों शूद्रों की असामान्य सैनिक शक्ति के समक्ष थोड़े से की अन्तिम व्यवस्था की और पश्चिम की ओर यूनानी योधाओं का ठहर सकना कठिन था। परन्तु यात्रा के निमित्त अनेक जल-यान तैयार कराये। असमान योग्यता एवं विभिन्न जाति के इस मिश्रित यात्रा की सविधा के अर्थ उसने अपनी सेना को दल के सङ्गठन और सचारु प्रबन्ध के होने से चार टकडियों में विभक्त किया। मुख्य दल को उच्चवंशीय मल्लियों का यद्ध-कौशल और शदों का हिपस्थियन की अध्यक्षता साहस किसी काम न आया। इसके सिवा जिस ___ में और प्यादे तथा घुड़सवारों के दल को क्रेटरस मरुस्थल को शत्रुओं के लिए दुर्गम और अपनी रक्षा को अधीनता में झेलम के किनारे किनारे रवाना के लिए अजेय साधन समझकर उन्होंने सेना से किया और फ़िलिप्स को मण्डलेश्वरी सेना-सहित खाली रख छोड़ा था उसी से होकर सिकंदर ने राज्य । घुमाव के मार्ग से आगे बढ़ने का आदेश दिया। के बीचोबीच धावा किया और दूसरी दो ओर इतना सब करके वह आठ हजार योधाओं तथा से उसके दो सेनापतियों ने राज्य में घेरा डाला। मल्लाहों के संग जल-मार्ग से चला । एक यूनानी सिकंदर ने किस प्रकार मल्लिराज्य के एक गढ़ के इतिहास-लेखक का कथन है कि बेड़े में दो हजार बाद दूसरे गढ़ हथिया लिये तथा शत्रुपक्ष के लड़ाकू भिन्न भिन्न आकार-प्रकार की नावें और अस्सी वीरों को कैसी निष्ठुरता से मौत के घाट उतारा जंगी जहाज़ थे, जो लग्गियों से खेये जाते थे। आदि बातों के वर्णन में यूनानी इतिसाहकारों ने Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035248
Book TitleSaraswati 1935 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1935
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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