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________________ संख्या ४] बड़े बड़े अक्षरों में लिखा है - संसार के श्रमजीवियो एकता से रहो । मेरे पास तो दो-चार जासूसी उपन्यासों और दैनिक जीवन के मुसाफ़िरी सामान के सिवा कुछ था ही नहीं । मज़े में छुटकारा मिल गया । कुली सामान उठाकर दूसरी गाड़ी में ले जाते हैं, लेकिन हर दद के २० कोयक या आठ आने दफ़्तर में दाखिल करने पड़ते हैं । रूस में रेल यात्रा - रूसी गाड़ी ठीक योरपीय ढंग के स्लीपिङ्गकार की ब्रूसेल्स से हार्बिन तरह थी । हर कंपार्टमेंट में दो बिस्तरे रहते हैं, जो दिन में उलट कर बैठने की जगह में परिणत कर दिये जाते हैं । मैं अपने डिब्बे में अकेला ही था। बृहस्पतिवार को गाड़ी ११ बजे मास्को पहुँच गई । ३॥ घण्टे की फुर्सत थी । इनटरिस्ट के श्रादमी ने पूछा कि क्या मैं मास्को की सैर करूँगा । मैंने हाँ कहा। एक अमेरिकन महिला भी साथ थीं । हम दोनों के लिए मोटर का इन्तिज़ाम कर दिया गया । रूस की एक झलक मोटर के आते ही एक नौजवान दुभाषिया रूसी लड़की आगे या बैठी । एक एक करके हमने स्थान देखना शुरू किये, लेकिन क्रेमलिन ही पसंद आया । यह स्थान सोवियट सरकार का केन्द्र है । भीतर जाने की अनुमति नहीं है । लेनिन का मक़बरा भी बहुत ही शानदार बना हुआ है । इस तरह हम तीन घंटे में इनटरिस्ट के होटल पहुँचे, जहाँ हमें २॥ डालर सैर के खर्च का देना पड़ा । सैर के बाद मैंने दुभाषिया लड़की का इनाम देना चाहा, लेकिन उसने धन्यवाद-पूर्वक उसे अस्वीकार करते हुए फा. २ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat ३९७ [ बैकाल झील ] । कहा कि रूस में इनाम लेने की आज्ञा नहीं है जो कुछ सरकार से मिलता है उसमें ही उसे सोवियट की मुद्रा प्रणाली - व्यापारी होने के कारण स्वभावतः सोवियट के सिक्के की प्रणाली की तरफ़ दिलचस्पी हुई । सावियट के सिक्के सिर्फ़ रूसी प्रजातन्त्र में ही चल सकते हैं। बाहर ले जाने या ले आने का हुक्म नहीं है । परदेश के सिक्के परदेशी इस्तेमाल करते हैं, जिसका निर्ख सोवियट सरकार मुक़र्रर किया करती है । आजकल एक डालर एक सोने के रुबल के बराबर होता है। अँगरेज़ी पौंड में पाँच रुबल और ६० कोयक मिलते हैं। भोजनालय इत्यादि में परदेशी सिक्का देना पड़ता है और जो कुछ बचता भी है वह परदेशी सिक्कों में ही वापस किया जाता है । मैंने कुछ चित्र, पोस्टकार्ड और स्टांप वगैरह खरीदे थे । उनकी क़ीमत के लिए मैंने एक पौंड दिया, जिसके बदले में मुझे १ || मार्क दस फेंक और कुछ पोलिश सिक्के मिले । सर्वत्र निराशा का वातावरण- सोवियट रूस के सम्बन्ध में प्रवासियों द्वारा भिन्न भिन्न प्रकार की बातें प्रजा को संतोष है । www.umaragyanbhandar.com.
SR No.035248
Book TitleSaraswati 1935 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1935
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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