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संख्या ३]
सम्पादकीय नोट
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तथा यूनानी चिकित्सा प्रणाली को सरकारी तौर से स्वीकार कर चुकी है, अतएव उन्हें इस प्रकार किसी देशी चिकित्सा प्रणाली की निन्दा नहीं करना चाहिए । परन्तु भारतीय संस्कृति की या किसी और अयोरपीय संस्कृति की बातों के बारे में जब उनके अन्य सजातीय ऐसी ही सम्मति देते रहते हैं और हम लोगों के कानों में जूं तक नहीं रेंगती तब उक्त साहब बहादुर की इस उक्ति को भी हमें सुनी-अनसुनी कर देना चाहिए। अब रही बात देशी चिकित्सा की अवैज्ञानिकता की, सेा उन भारतीयों को इस बात की ज़रा भी परवा नहीं है जिनको पाश्चात्यों की वैज्ञानिक चिकित्सा-प्रणाली गूलर के फूल के समान है तथा जो पीढ़ियों से अपनी देशी चिकित्सा से बराबर लाभ ही लाभ उठाते चले आ रहे हैं। हमें इन जैसे महानुभावों की ऐसी उक्तियों की ओर उतना ध्यान नहीं देना चाहिए, जितना इस बात की ओर कि हमारी देशी चिकित्सा-प्रणाली की शिक्षा की ऐसी व्यवस्था हो कि हमारे प्रत्येक गाँव के लिए कम से कम दो दो वैद्य तो ज़रूर तैयार हो जायँ । और तब उक्त डाक्टर साहब की तरह के लोगों को अपने आप ही ज्ञात हो जायगा कि भारत की देशी चिकित्सा-प्रणालियाँ कहाँ तक वैज्ञानिक
[श्रीमती कमला नेहरू] तथा लोक-प्रिय हैं।
रवाना हो गये। श्रीमती कमला नेहरू शीघ्र आरोग्य लाभ
करें, और यह आदर्श दम्पति सकुशल भारत लौटें, यही श्रीमती कमला नेहरू
हमारी कामना है। श्रीमती कमला नेहरू इधर महीनों से बीमार रहीं और जब यहाँ उनकी अवस्था में कोई सुधार होता न स्वामी दयानन्द महाराज का स्वर्गवास दिखाई दिया तब चिकित्सार्थ योरप भेजी गई। परन्तु _भारतधर्म-महामण्डल के मंत्री तथा उसके प्रमुख वहाँ भी उनका स्वास्थ्य नहीं ही सुधरा । हाल में जर्मनी से कार्यकर्ता स्वामी दयानन्द जी महाराज की गत ३० जुलाई उनकी चिन्ताजनक स्थिति केतार आये।
को काशी में मृत्यु हो गई । आप इधर बहुत दिनों से हृद्रोग यह प्रसन्नता की बात है कि सरकार ने पंडित जवाहर- से पीड़ित थे। आपकी इस असामयिक मृत्यु से भारतधर्मलाल नेहरू को बिना किसी शर्त के जेल से छोड़ दिया महामण्डल का भविष्य तो अन्धकार-पूर्ण हो ही गया है, है ताकि वे अपनी पत्नी श्रीमती कमला नेहरू से जर्मनी सनातनधर्म की भी अपार क्षति हुई है। स्वामी जी सनाजाकर मिल सकें। नेहरू जी जिस दिन छूट कर प्रयाग तनधर्म के एक अप्रतिम वक्ता तथा व्याख्याता ही नहीं पहुँचे उसी दिन शाम को हवाई जहाज़ से जर्मनी के लिए थे, किन्तु नैष्ठिक बाल-ब्रह्मचारी, तपस्वी तथा विद्वान् भी
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