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________________ सरस्वती [भाग ३६ [यह तसवीर अमरीका में १६१४ में ली गई थी बाई ओर से (१) लाला लाजपतराय, (२) बाबू शिवप्रसाद गुप्त खड़े हुए, (३) श्री सरकार सामाजिक सेवा करने का इन्हें बचपन से ही शौक़ वैशाख सुदी ५ संवत् १६७१ को अर्थात् ३० अप्रेल था । संवत् १९६१ में काशी में 'अग्रवाल स्पोर्टस क्लब' १६१४ को ये पहली बार विलायत गये । बम्बई से वैशाख की स्थापना हुई । इसके श्राप सदस्य बने और इसी संस्था सुदी १३ अर्थात् ८ मई १९१४ को जहाज़ पर बैठे। ये में रहते हुए इनके सामाजिक और राजनैतिक विचारों का केवल ६ मास की यात्रा का विचार करके घर से बाहर उदय हुअा और इन्हें भाषण देने का भी अभ्यास यहीं निकले थे। किन्तु इन्हें लग गये २१ मास । इस यात्रा में हुअा । ये संवत् १९६१-६२ (सन् १६०४-५ ई०) से ही इन्होंने इंग्लिस्तान, आयर्लेड, अमरीका, जापान, कोरिया, राजनैतिक प्रवृत्तियों में दिलचस्पी लेने लग गये थे । बम्बई चीन आदि देशों का भ्रमण किया। की कांग्रेस में इसी वर्ष ये पहली बार कांग्रेस के डेलीगेट बन अमरीका में रहते हुए ये लाला लाजपतराय जी के कर गये । सन् १६०५ में बनारस में कांग्रेस हुई । उस समय अच्छी तरह सम्पर्क में आये और अपने राजनैतिक इन्होंने स्वयंसेवक की हैसियत से कांग्रेस की सेवा की। विचारों को निर्भीकता-पूर्वक प्रकट करते रहे। इसी उस समय पंचनद-केशरी लाला लाजपतराय, लोकमान्य बीच में योरपीय महायुद्ध छिड़ गया और सिंगापुर तिलक और श्री विपिनचन्द्र पाल का राष्ट्रीय क्षेत्र में में हिन्दुस्तानी फ़ौज ने विद्रोह कर दिया। स्वभावतः बोलबाला था। इन नेताओं के विचारों ने गुप्त जी के शासकगण विशेषरूप से सख्त हो गये । पुलिस ने ग़लती हृदय में देश की सेवा करने का भाव बढ़ा कर दिया। से गुप्त जी के बारे में शायद यह रिपोर्ट कर दी कि ये
SR No.035248
Book TitleSaraswati 1935 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1935
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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